ब्राजीलिया। ब्राजील में आखिरकार सत्ता परिवर्तन हो गया। दक्षिण अमेरिका के सबसे बड़े देश ब्राजील में अजेय माने जा रहे राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो चुनाव हार गए हैं। वामपंथी नेता और पूर्व राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा नए राष्ट्रपति चुने गए हैं। उन्होंने एक फीसदी से भी कम वोट के अंतर से बोल्सोनारो को हराया है। लूला डा सिल्वा ने मौजूदा राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो को करीब 21 लाख 39 हजार वोटों से हरा दिया। लूला वामपंथी वर्कर्स पार्टी के नेता हैं। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक नए राष्ट्रपति एक जनवरी 2023 को पद संभालेंगे, तब तक बोल्सोनारो कार्यवाहक राष्ट्रपति बने रहेंगे।
इस साल लूला छठी बार राष्ट्रपति पद के लिए खड़े हुए थे, जिसमें उन्हें जीत मिली। उन्होंने पहली बार 1989 में चुनाव लड़ा था। ये तीसरी बार होगा जब लूला राष्ट्रपति पद संभालेंगे। इसके पहले वो 2003 से 2010 के बीच दो बार राष्ट्रपति चुने गए थे। राजनीति में आने से पहले वो एक फैक्टरी में काम करते थे। गौरतलब है कि 30 अक्टूबर को राष्ट्रपति चुनाव के लिए दूसरे राउंड की वोटिंग हुई। लूला डा सिल्वा को 50.90 फीसदी जबकि बोल्सोनारो को 49.10 फीसदी वोट मिले।
ब्राजील के संविधान के मुताबिक, चुनाव जीतने के लिए किसी भी कैंडिडेट को कम से कम 50 फीसदी वोट हासिल करने होते हैं। पिछले महीने हुई पहले राउंड की वोटिंग में लूला को 48.4 फीसदी जबकि बोल्सोनारो को 43.23 फीसदी वोट मिले थे। बहरहाल, 77 साल के लूला डा सिल्वा ने चुनाव मैदान में भ्रष्टाचार को खत्म करने का अभियान छेड़ा था। उनका कहना था कि बोल्सोनारो के दौर में भ्रष्टाचार बढ़ा। वैसे लूला भी जब राष्ट्रपति थे तो उन्हें भ्रष्टाचार के कारण पद छोड़ना पड़ा था। भ्रष्टाचार के आरोपों सही साबित होने के बाद वे 580 दिन जेल में रहे थे।
बहरहाल, राष्ट्रपति चुनाव का फैसला आने के बाद अब पूरी दुनिया की नजरें बोल्सोनारो और उनके समर्थकों पर टिकीं हैं। बोल्सोनारो पहले ही ये साफ कर चुके थे कि अगर वो चुनाव हारे तो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रास्ता अपनाएंगे और नतीजों को कबूल नहीं करेंगे। अब उनकी हार के बाद देश में हिंसा होने का खतरा बढ़ गया है। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।