नई दिल्ली। बिहार में जाति आधारित जनगणना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। जातिगत गणना कराने के बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसके खिलाफ दायर याचिका में छह जून 2022 को राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है। बिहार के रहने वाले अखिलेश कुमार ने ये याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 20 जनवरी को करेगा। उससे पहले बुधवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है।
जातिगत जनगणना को स्थगित करने के लिए सर्वोच्च अदालत में दायर याचिका पर नीतीश कुमार ने कहा कि ये उनकी समझ से परे है क्योंकि ये सबके विकास के लिए है। उन्होंने कहा- याचिका का कोई औचित्य ही नहीं है। हम जनगणना नहीं करा रहे हैं हम जाति आधारित गणना करा रहे हैं। हम तो चाहते थे कि देश में भी जाति आधारित जनगणना हो लेकिन, केंद्र सरकार ने इससे इनकार कर दिया। नीतीश ने कहा- केंद्र सरकार ने हमें परमिशन दिया है कि हम जाति आधारित गणना करा सकते हैं। इससे राज्य में आर्थिक और सामाजिक स्थिति पता चल जाएगा और उसके मुताबिक विकास किया जा सकेगा।
बिहार में मंत्रिमडंल विस्तार को लेकर जारी चर्चाओं पर भी मुख्यमंत्री ने बात की। उन्होंने एक और उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की किसी भी संभावना से इनकार किया। मीडिया के सवालों पर उन्होंने कहा कि ये सब फालतू बात है। नीतीश कुमार ने कहा- पता नहीं कहा से ये बातें सामने आ रही हैं। कैबिनेट विस्तार होगा तो राजद कोटे से जो हटे हैं उनके बदले जगह दिया जाएगा। कांग्रेस के भी कुछ नाम होंगे। लेकिन दो उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा- जब बीजेपी के साथ सरकार चल रही थी तो उन लोगों ने बनाया था। लेकिन अब ये बात कहां से आ रही है। नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चाओं को पूरी तरह से खारिज कर दिया।