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बिहार में जाति जनगणना शुरू

पटना। देश में हर 10 साल पर होने वाली जनगणना नहीं हो रही है लेकिन उससे पहले बिहार में जाति आधारित जनगणना की शुरुआत हो गई है। अगले लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में भाजपा को रोकने के लिए राजद और जदयू की सरकार का यह मास्टरस्ट्रोक है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि इससे सभी वर्गों को फायदा होगा तो उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इसे ऐतिहासिक घटनाक्रम बताया है। दूसरी ओर मुख्य विपक्षी भाजपा के नेता अलग अलग बयान दे रहे हैं।

भाजपा की ओर से प्रदेश के सबसे बड़े नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्विट करके इसका श्रेय लेते हुए कहा है कि जातीय जनगणना का फैसला एनडीए सरकार ने किया था, महागठबंधन सरकार ने नहीं। उन्होंने सरकार से जवाब मांगा की इसे शुरू करने में सात महीने की देरी क्यों हुई। दूसरी ओर भाजपा विधायक दल के नेता और विधानसभा में नेता विपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि अच्छा होता कि सरकार सिर्फ आर्थिक आंकड़े जुटाती। उन्होंने जाति आधारित जनगणना को समरस समाज के लिए अच्छा नहीं बताया।

बहरहाल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि इस जनगणना के दौरान सिर्फ जातियों की गणना नहीं, बल्कि राज्य के हर परिवार के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। उससे देश के विकास और समाज के उत्थान में बहुत फायदा होगा। गौरतलब है कि लंबी जद्दोजहद के बाद सात जनवरी से बिहार में जाति आधारित जनगणना शुरू हुई। राज्य सरकार ने इसके लिए करीब पांच सौ करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है। इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा।

पहला चरण सात से 21 जनवरी तक चलेगा और दूसरा चरण एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलेगा। जातीय जनगणना के पहले चरण में सिर्फ मकानों की गिनती की जाएगी और फिर दूसरे चरण में जातियों की गिनती कर जाति आधारित जनसंख्या के आंकड़े जुटाए जाएंगे। सात जनवरी से जो पहला चरण शुरू हुआ है उसमें हर मकान की नंबरिंग की जाएगी। आवासीय मकानों की गिनती के दौरान भवन संख्या लिखे जाएंगे। इसके बाद मकान का इस्तेमाल किस उद्देश्य के लिए किया जा रहा है, यह नोट किया जाएगा। घर के मुखिया का नाम और साथ ही परिवार में सदस्यों की संख्या भी नोट की जाएगी।

इसके बाद दूसरा चरण एक अप्रैल से शुरू होगा और 30 अप्रैल तक चलेगा। उस दौरान जाति और आर्थिक दोनों पर सवाल किए जाएंगे। इस चरण में लोगों से शिक्षा का स्तर पूछा जाएगा। इसके साथ ही लोगों की नौकरी की श्रेणी पूछी जाएगी। घर में कितनी गाड़ी और मोबाइल हैं, ये भी सवाल होंगे। इसके अलावा सबसे अहम सवालों में आय के साधन भी हैं। इसी के साथ परिवार में कमाने वाले सदस्यों की जानकारी और एक व्यक्ति पर कितने लोग निर्भर हैं, ये भी पूछा जाएगा।

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