नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस ने दिल्ली के उत्तर पूर्व इलाकों में हुई हिंसा को ‘सुनियोजित नरसंहार’ करार देते हुए इसे रोकने में केंद्र सरकार की नाकामी को लेकर लोकसभा में बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की। तृणमूल के प्रोफेसर सौगत रॉय ने दिल्ली हिंसा को लेकर नियम 193 के अधीन चर्चा के दौरान कहा कि जब राजधानी दिल्ली में दंगे हो रहे थे, तब शाह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आवभगत के लिए अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि शाह जब गृह मंत्रालय से 10-20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दंगों से निपटने में नाकामयाब रहते हैं तो उन्हें गृ़ह मंत्री के पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। श्री शाह को मंत्री पद से त्याग पत्र दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब दिल्ली जल रही थी, तब शाह क्या कर रहे थे? जब लोग दंगों के शिकार हो रहे थे तब श्री शाह कोई कार्रवाई करने से चूक क्यों गये? उनकी मंशा क्या थी? रॉय ने सत्ता पक्ष में आगे की अपनी सीट पर बैठे शाह से कहा, दिल्ली हिंसा को काबू करने में आपकी नाकामी आपके माथे पर चिपक गया है।
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आपको गृह मंत्री का पद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश से इन घटनाओं की न्यायिक जांच कराने की भी मांग की। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के टी आर बालू ने भी हिंसा की घटनाओं के लिए सरकार की नाकामी का हवाला देते हुए इन घटनाओं की शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराये जाने की मांग की। शिवसेना के विनायक राउत ने दिल्ली हिंसा के लिए खुफिया और कानून एवं व्यवस्था का जिम्मा संभालने वाली अन्य एजेंसियों की नाकामियों को जिम्मेदार ठहराया।
जनता दल (यू) के राजीव रंजन सिंह ने दिल्ली हिंसा की घटनाओं को विपक्ष में बैठे विभिन्न दलों द्वारा देश का माहौल खराब करने की साजिश करार दी। उन्होंने कहा कि यदि सरकार सभी घटनाओं की जांच कराये तो सफेदपोश नेता के चेहरे उजागर हो जायेंगे। उन्होंने विपक्षी दलों से कहा, चुनाव लड़िए, राजनीति कीजिए लेकिन देश की एकता और अखंडता को तहस-नहस करके नहीं। देश रहेगा तभी आप (विपक्ष) राजनीति कर पायेंगे।