नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने एक अभूतपूर्व फैसले में गैंगरेप और हत्या के तीन दोषियों की मौत की सजा का फैसला पलट दिया और तीनों दोषियों को रिहा कर दिया। करीब 11 साल पुराने इस केस में दिल्ली की एक अदालत ने 2014 में तीन आरोपियों को 19 साल की एक युवती के साथ बलात्कार करने और बड़ी बेरहमी से हत्या कर देने के मामले का दोषी ठहराया था और मौत की सजा सुनाई थी। उसी साल दिल्ली हाई कोर्ट ने भी तीनों की सजा बरकरार रखी थी। लेकिन सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला पलट कर तीनों को रिहा करने का आदेश दिया।
चीफ जस्टिय यूयू ललित के कार्यकाल के आखिरी दिन उनकी अध्यक्षता वाली बेंच ने यह फैसला सुनाया। बेंच में जस्टिस एस रविंद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी भी शामिल थे। अदालत के इस फैसले से मृतक लड़की का परिवार बेहद आहत नजर आया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मृतक लड़की के माता-पिता ने कहा- हम इस फैसले से टूट गए हैं, हमने 12 साल बहुत परेशानियां झेलीं हैं, आरोपी हमें कोर्ट में ही काटने की धमकियां देते थे, अंधा कानून है, हम फैसले के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।
चीफ जस्टिस ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने मौत की सजा कम करने की अर्जी का विरोध किया था। दिल्ली की द्वारका अदालत ने फरवरी 2014 में 19 साल की युवती के साथ बलात्कार और हत्या के लिए रवि कुमार, राहुल और विनोद को दोषी ठहराया था और मौत की सजा सुनाई थी। पीड़िता का क्षत-विक्षत शरीर हरियाणा के रेवाड़ी में एक खेत में मिला था। उस पर कार के औजारों व अन्य चीजों से बेदर्दी से हमला किया गया था।
इसके बाद 26 अगस्त 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने मौत की सजा की पुष्टि करते हुए कहा कि वे शिकारी थे जो सड़कों पर घूम रहे थे और शिकार की तलाश में थे। तीनों दोषियों ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले के आठ साल बाद उसे पलट दिया और तीनों दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया।