नई दिल्ली। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को बड़ा बयान दिया। गुरुवार को लगातार तीसरे दिन सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि समलैंगिक संबंध एक बार का रिश्ता नहीं, अब ये रिश्ते हमेशा के लिए टिके रहने वाले हैं। उन्होंने यह कहा कि ये सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से मिलन भी है। ऐसे में समलैंगिक शादी के लिए 69 साल पुराने स्पेशल मेरिज एक्ट के दायरे का विस्तार करना गलत नहीं।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा- सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करके न केवल एक ही लिंग के सहमति देने वाले वयस्कों के बीच संबंधों को मान्यता दी, बल्कि इस तथ्य को भी स्वीकार किया कि समलैंगिक संबंध सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि भावनात्मक, स्थिर रिश्ते हैं। उन्होने कहा- समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर अदालत भी पहले ही मध्यवर्ती चरण में पहुंच चुकी है, जिसने इस बात पर विचार किया था कि समान लिंग वाले लोग स्थिर विवाह जैसे रिश्तों में होंगे। इसलिए समलैंगिक विवाह का विस्तार स्पेशल मैरिज एक्ट में करने में कुछ गलत नहीं है।
समलैंगिक शादी में बच्चों पर होने वाले असर या घरेलू हिंसा के सवाल पर चीफ जस्टिस ने कहा कि सामान्य यानी स्त्री-पुरुष की शादी वाले परिवार में बच्चे को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़े तो क्या होगा? अगर कोई पति शराब पीकर घर आए और पैसे को लेकर पत्नी से झगड़ा करे तो क्या होगा? चीफ जस्टिस ने सोशल मीडिया में जजों को ट्रोल करने पर चिंता जताई और कहा कि जजों को आजकल सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाता है।
ट्रोल होने की आशंका जताते हुए उन्होंने कहा- 69 सालों में समाज और कानून विकसित हुए हैं। स्पेशल मैरिज एक्ट केवल ढांचा प्रदान करता है। नई अवधारणाओं को इसमें आत्मसात किया जा सकता है। हम मूल व्याख्या से बंधे नहीं हैं। इसका विस्तार किया जा सकता है। हमारे कानून ने वास्तव में समलैंगिक संबंधों को विकसित किया है। समलैंगिकों को शामिल करने के लिए कानून संशोधित किया जा सकता है।