नई दिल्ली। संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट में हुए कार्यक्रम में चीफ जस्टिस एनवी रमना ने न्यायपालिका पर हो रहे हमले को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जजों के ऊपर सिर्फ शारीरिक हमले नहीं हो रहे हैं, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए भी हमला किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय सुनिश्चित करना न्यायपालिका का काम लेकिन कार्यपालिका और विधायिका का भी भूमिका इसमें होती है। Chief Justice NV Ramana
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संविधान दिवस कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहा- आज से 72 साल पहले हमने संविधान अपने हाथ में लिया था। मैं उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देता हूं, जिन्होंने हमारी आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। मैं उन लोगों को भी श्रद्धांजलि देता हूं, जिन्होंने इस संविधान को विकसित किया, जो 20वीं सदी का एक अद्भुत दस्तावेज है। चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि सामान्य धारणा है कि न्याय देना केवल न्यायपालिका का कार्य है, यह सही नहीं है, यह तीनों अंगों पर निर्भर करता है।
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चीफ जस्टिस ने जजों पर हमले की बात करते हुए कहा- जजों पर हमले हो रहे हैं, न केवल शारीरिक, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए भी। अधिकारियों को इस संबंध में जजों की सहायता के लिए आगे आकर मदद करनी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री से सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक ढांचे में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट की बनाई समितियों की ओर से की गई सिफारिशों पर विचार करने का अनुरोध किया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में रिक्तियों को तेजी से भरने के लिए कॉलेजियम अच्छी तरह से काम कर रहा है और हमें इस मामले में केंद्र सरकार से सहयोग की उम्मीद है।
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