नई दिल्ली | देश ने आज कोरोना संक्रमण के चलते प्रख्यात पर्यावरणविद को दिया है. चिपको आंदोलन ( Chipko Andolan ) के प्रणेता और प्रख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा ( Sunderlal Bahuguna ) का शुक्रवार को निधन हो गया है. उन्होंने ऋषिकेश स्थित एम्स में अंतिम सांस ली. 94 वर्षीय सुंदरलाल बहुगुणा को कोरोना से संक्रमित होने के बाद बीती 8 मई को उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था। देहरादून स्थित शास्त्रीनगर स्थित अपने दामाद डॉ. बीसी पाठक के घर पर रह रहे सुंदरलाल बहुगुणा को कुछ दिन पहले बुखार आया था। बुखार नहीं उतरने पर उन्हें एम्स ले जाने की सलाह दी गई। सुंदर बहुगुना के बेटे राजीव ने बताया कि अस्पताल में उनका आरटीपीसीआर टेस्ट व अन्य जांचे की गई थी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ( Tirath Singh Rawat ) ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. सीएम रावत ने ट्वीट किया, चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला है. यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित है. यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है. पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें 1986 में जमनालाल बजाज पुरस्कार और 2009 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. पर्यावरण संरक्षण के मैदान में श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के कार्यों को इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा.
चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी
सुंदरलाल बहुगुणा ने गौरा देवी और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी। 26 मार्च, 1974 को चमोली जिला की ग्रामीण महिलाएं उस समय पेड़ से चिपककर खड़ी हो गईं जब ठेकेदार के आदमी पेड़ काटने के लिए आए। यह विरोध प्रदर्शन तुरंत पूरे देश में फैल गए।