नई दिल्ली। मिस्र के शर्म अल शेख में जलवायु सम्मेलन का आगाज हो गया है। रविवार को जलवायु सम्मेलन सीओपी 27 की शुरुआत हुई। यह सम्मेलन 18 नवंबर तक चलेगा। किसी अफ्रीकी देश में पांचवीं बार यह सम्मेलन हो रहा है। इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित दुनिया के तमाम बड़े देशों के नेता शामिल होंग। शर्म अल शेख में छह से 18 नवंबर तक होने वाली इस बैठक में भारत से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव शामिल हो रहे हैं।
बैठक में दुनिया भर के नेता जलवायु परिवर्तन और इसके समाधान के मुद्दे पर चर्चा करेंगे। गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। भारत सहित दुनिया के हर देश में मौसम का अतिरेक देखने को मिल रहा है। धरती का तापमान बढ़ रहा है और भयंकर बारिश व बाढ़ का प्रकोप भी बढ़ रहा है। साथ ही पूरी दुनिया में गरमी बढ़ रही है, जिससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं।
बताया गया है कि शर्म अल शेख में हो रहे सम्मेलन का फोकस क्लाइमेट फाइनेंस यानी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आर्थिक मदद देने पर होगा। दुनिया के कम विकसित देश या विकासशील देश चाहते हैं कि विकसित और संसाधनों का सर्वाधिक इस्तेमाल करने वाले देश उनकी मदद करें। भारत भी चाहता है कि उसे जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए दुनिया के देश मदद करें।
बहरहाल, इस सम्मेलन से पहले संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा- विकसित देशों और गरीब देशों के बीच का अंतर सीओपी 27 का सबसे बड़ा मुद्दा है। विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन पर विकासशील देशों के साथ ऐतिहासिक समझौते पर दस्तखत करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो दुनिया बरबाद हो जाएगी। असल में, इस समझौते के तहत फैसला कियागया था कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकसित देश हर साल एक सौ अरब डॉलर का फंड गरीब देशों को देंगे।
सीओपी 27 सम्मेलन से पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत विकसित देशों से विकासशील देशों के लिए आर्थिक मदद और तकनीक हस्तांतरण की मांग भी करेगा ताकि इन देशों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सके।