नई दिल्ली। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए दायर 20 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। विवाह की मान्यता देने का विरोध कर रही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वह समलैंगिक जोड़ों की समस्याएं कम करने के लिए कुछ उपाय कर सकती है। बुधवार की सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा कि वह बिना मान्यता के समलैंगिकों की समस्याओं पर विचार को तैयार है और प्रशासनिक स्तर पर एक कमेटी बनाने को तैयार है।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- सरकार समलैंगिकों की समस्याओं पर पॉजिटिव है। कैबिनेट सचिव स्तर के अफसरों की कमेटी बनाने को तैयार है। समलैंगिक लोगों की समस्याओं को उनके सामने रखा जा सकता है। तुषार मेहता ने कहा कि एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय के रोजमर्रा के जीवन में आने वाली समस्याओं को कम करने के लिए सुझावों की जांच करने के लिए केंद्र केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने पर सहमत है। याचिकाकर्ता उन्हें समिति को विचार करने के लिए सुझाव दे सकते हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अभिषेक सिंघवी ने कहा- इस मामले के कुछ कानूनी पहलू भी हैं, सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर हल नहीं निकल सकता। सिंघवी ने कहा कि विवाह का सिद्धांत कानूनी पहलू है, जो अदालत के क्षेत्राधिकार में है। याचिकाकर्ताओं की ओर से दूसरी वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि युवा लोग खासतौर पर छोटे शहरों व गांवों में लोग चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक शादी को मान्यता दे।