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अदानी पर कांग्रेस के मोदी से सवाल

नई दिल्ली। अदानी समूह की वित्तीय गड़बड़ी और हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद उसके शेयरों में आई गिरावट के बीच कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन सवाल पूछे हैं। कांग्रेस ने यह भी ऐलान किया है कि वह इस मसले पर रोज प्रधानमंत्री से तीन सवाल पूछेगी। कांग्रेस महासचिव और संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा कि अदानी समूह पर लगे गंभीर आरोपों के बीच मोदी सरकार ने चुप्पी साध रखी है, जिससे किसी सांठ-गांठ का साफ इशारा मिल रहा है। प्रधानमंत्री ये कह कर बच नहीं सकते कि ‘हम अदानी के हैं कौन’। उन्होंने लिखा- आज से इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री से रोज तीन सवाल पूछेगी।

जयराम रमेश ने ट्विटर पर एक पत्र जारी कर प्रधानमंत्री से सवाल पूछे हैं। रमेश ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को याद दिलाया है कि पनामा पेपर्स के खुलासे के जवाब में, चार अप्रैल 2016 को उन्होंने व्यक्तिगत रूप से एक बहुएजेंसी जांच समूह को विदेशी टैक्स हेवन समझे जाने वाले देशों से वित्तीय प्रवाह के निगरानी करने का निर्देश दिया था। रमेश ने यह भी याद दिलाया कि खुद प्रधानमंत्री ने सितंबर 2016 में चीन में जी 20 देशों के समूह की बैठक में कहा था कि आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित आश्रयों को खत्म करने, धन शोधन करने वालों का पता लगाने और उनका बिना शर्त प्रत्यार्पण करने जैसे उपायों की जरूरत है। इसके बाद उन्होंने तीन सवाल पूछे।

उनका पहला सवाल गौतम अदानी के भाई विनोद अदानी को लेकर है। रमेश ने लिखा है- विनोद अदानी का नाम पनामा पेपर्स और पेंडोरा पेपर्स में बहामास और ब्रिटिश वर्जिन द्वीपसमूहों में ऑफशोर कंपनियों को संचालित करने वाले व्यक्ति के रूप में सामने आया था। उन पर विदेशी फर्जी कंपनियों के एक विशाल मायाजाल के जरिए शेयर बाजार में हेराफेरी करने और खातों में धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगा है। रमेश ने पूछा है कि इस परिवार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

दूसरा सवाल केंद्रीय एजेंसियों को लेकर है। रमेश ने लिखा है- प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी, सीबीआई, डीआरआई जैसी एजेंसियों का दुरूपयोग राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को डराने-धमकाने और उन व्यापारिक घरानों को सजा देने के लिए किया है जो आपके पूंजीपति मित्रों के वित्तीय हितों के अनुरूप नहीं हैं। अदानी समूह के खिलाफ वर्षों से लगाए जा रहे गंभीर आरोपों की जांच के लिए आपके द्वारा क्या कार्रवाई की गई है?

तीसरा सवाल अदानी समूह के चौतरफा तरक्की को लेकर है। रमेश ने पूछा है अदानी समूह को कैसे हवाईअड्डों और बंदरगाहों में एकाधिकार स्थापित करने की अनुमति दी गई है और लगातार आरोपों के घेरे में होने के बावजूद इतने लंबे समय से वह समूह गंभीर जांच से बचता चला रहा है? जबकि अन्य व्यापारिक समूहों को हल्के आरोपों के लिए एजेंसियों ने परेशान किया है और उन पर छापे मारे गए।

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