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Corona Crisis: कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा में ना आए कोई परेशानी, जल्द तैयार करें सूची- SC

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Corona Crisis: कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा में ना आए कोई परेशानी, जल्द तैयार करें सूची- SC
नई दिल्ली | देश की सर्वोच्च न्यायालय ने आज कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की देखरेख के लिए लिखित आदेश जारी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट इस आदेश में केंद्र सरकार को कहा है कि बिना किसी देरी के अनाथ बच्चों की पहचान कर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग अपने पोर्टल पर उनकी सूची जारी करे. इसके साथ ही SC ने केंद्र सरकार को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि गैर सरकारी तरीके से बच्चों को गोद लेने में शामिल NGO के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. SC ने कहा कि सरकार इस बात का भी ख्याल रखे कि अनाथ के बच्चे जिस सरकारी या प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे थे वे उसी सरकारी और प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करते रहें और उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी ना आए. ( corona pandemic )

चाइल्ड प्रोटक्शन यूनिट को देना होगा ध्यान

सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश में कहा गया है कि जिलों की चाइल्ड प्रोटक्शन यूनिट को इस बात का ध्यान देना होगा कि बच्चों के खाने, दवा और कपड़े का बंदोबस्त किया जाए. इसके साथ ही यदि बच्चे किसी योजनाओं के हकदार हैं, तो उन्हें यथासंभव वित्तीय सहायता पहुंचाई जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि बच्चों के गार्जियन बच्चों का ख्याल रखने में सक्षम नहीं है या फिर वह इसमें रूची नहीं रखते हैं तो ऐसे बच्चों को चिन्हित कर तुरंत CWC के सामने लाना चाहिए जिससे कि उनकी ठीक तरीके से देख रखी जा सके. इसे भी पढ़ें -Bullet Train Project: विस्थापत झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोग पहुंचे कोर्ट, कहा-मौखिक आश्वासन के बाद घर खाली करने का दिया नोटिस…

देश में 30 हजार से ज्यादा बच्चे हुए अनाथ ( corona pandemic )

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों से आ रही जानकारी के अनुसार कोरोना महामारी के दौरान 30 हजार से ज्यादा बच्चे अनाथ हुए हैं. बता दें कि आंकड़ों के अनुसार अनाथ हुए बच्चों में भी कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित रहने वाला राज्य महाराष्ट्र ही था. जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में ऐसे बच्चों की संख्या 7084 के आसपास है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में 3172 और राजस्थान में 2482 बच्चों ने अपने मां बाप को इस महामारी में खो दिया. ( corona pandemic ) इसे भी पढ़ें-माननीय प्रधानमंत्री जी, कृपया कर अपने संबोधन में ‘फ्री’ या मुफ्त ना कहें,  दिल जलता है (भाग 1)
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