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मुफ्त की घोषणाओं पर अदालत ने मांगी राय

ByNI Desk,
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मुफ्त की घोषणाओं पर अदालत ने मांगी राय
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों की ओर से मुफ्त की वस्तुएं और सेवाएं बांटने के मामले में सभी पक्षों से 17 अगस्त तक जवाब मांगा है। सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए दो अहम बातें कहीं। अदालत ने यह साफ कर दिया कि वह मुफ्त की चीजें बांटने की घोषणा करने वाली पार्टियों की सदस्यता रद्द करने के मामले की सुनवाई नहीं करेगी क्योंकि यह अलोकतांत्रिक है। इसके अलावा अदालत ने कहा कि मुफ्त की सौगातें और सामाजिक कल्याणकारी योजनाएं दो अलग-अलग चीजें हैं। अदालत ने कहा कि अर्थव्यवस्था को पैसे के नुकसान व कल्याणकारी कदमों के बीच संतुलन कायम करना होगा। इस टिप्पणी के के साथ ही सर्वोच्च अदालत ने मुफ्त सौगात देने का वादा करने के लिए राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने की संभावना से भी इनकार किया। अदालत ने सभी पक्षों को 17 अगस्त से पहले इस पहलू पर सुझाव देने को कहा है। चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि चुनाव के दौरान तर्कहीन मुफ्त सौगात देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने का विचार अलोकतांत्रिक है। पीठ की ओर से चीफ जस्टिस रमन्ना ने कहा- मैं किसी राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करने के विषय में नहीं जाना चाहता क्योंकि यह एक अलोकतांत्रिक विचार है। आखिरकार हमारे यहां लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान तर्कहीन मुफ्त सौगात देने का वादा एक गंभीर मुद्दा है, लेकिन वह इस संबंध में वैधानिक स्थिति स्पष्ट नहीं होने पर भी विधायी क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा- आप मुझे अनिच्छुक या परंपरावादी कह सकते हैं लेकिन मैं विधायी क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करना चाहता। मैं रूढ़िवादी हूं। मैं विधायिका से जुड़े क्षेत्रों में अतिक्रमण नहीं करना चाहता। यह एक गंभीर विषय है। यह कोई आसान बात नहीं है। हमें दूसरों को भी सुनने दें। गौरतलब है कि चीफ जस्टिस 26 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकीलों की ओर से कुछ सुझाव दिए गए हैं।  
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