कुछ उपलब्धियां ऐसी होती हैं जिसे हासिल करने के बाद लोग खुद संतुष्ट होने का साथ ही दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं. 25 वर्षीय तनुश्री पारीक ( TANUSHREE PAREEK) ने भी ने कुछ ऐसी ही उपलब्धि हासिल की . 25 मार्च को तनुश्री पारीक BSF यानि फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस ( FIRST LINE OF DEFFENECE ) में पहली कमाण्डर के रूप में चुनी गयी. तनुश्री देश की पहली महिला कमाण्डर थी. तनुश्री लाखों लड़कियों के लिए एक प्रेरणा हैं. तनुश्री का कहना है कि धूप में सनस्क्रीम लगाना छोड़कर खुदको साबित करें. तनुश्री बचपन से ही होनहार छात्रा थी. तनुश्री आज भारत की बहुत सारी युवतियों के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं.तनुश्री का मानना है कि बस खुद पर विश्वास रखो और सैन्य बलों में जाने से जीवन में अनुशासन आता है.
उपलब्धि का रोमांच
तनुश्री का कहना है कि परेड के लिए मैने खुद को दोगुने उत्साह के साथ तैयार किया था. तनुश्री की पहली तैनाती पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर पुई थी. तनुश्री ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत कड़ी मेहनत की थी. 13 माह की बेहद कड़ी ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने युद्ध कौशल, खुफिया सूचनाएं जुटाने और सीमा की सुरक्षा से जुड़े दूसरे कार्यों का प्रशिक्षण हासिल किया. अपनी ट्रेनिंग के दौरान अपनी असाधारण उपलब्धियों के लिए उन्होंने ‘ड्रिल’, ‘ऑलराउंड बेस्ट ट्रेनी’ और ‘पब्लिक स्पीकिंग’ के तीन पुरस्कार भी हासिल किए.
मेधावी छात्रा थी तनुश्री
तनुश्री शुरू से ही मेधावी थी. तनुश्री पारीक मूलतः बीकानेर की रहने वाली थी. उन्होंने बीकानेर के गवर्नमेंट इंजीनियर कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. उसके बाद उन्होंने ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय’ (इग्नू) से ‘रूरल डेवलपमेंट’ में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की. उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी भी की और प्रारंभिक परीक्षा में सफलता हासिल की लेकिन मेन्स में सफल नहीं हो सकीं. तनुश्री ने स्कुल और कॉलेज में एनसीसी में टफ ट्रेनिंग ली थी. 2012 में तनु ने बीए की डिग्री प्राप्त की थी. इसके एक साल बाद BSF में ऑपरेशनल ड्यूटी के लिए महिला कमाणडर को चुना गया. तब तनु ने युपीएससी के लिए असिसटेंट कमाण्डर का फॉर्म भरा. अप्रैल 2014 में फिजीकलल टेस्ट के लिए दिल्ली बुलाया गया. इस दौराम 18 सैकण्ड में 100 नीटर और ढ़ाई मिनट में 400 मीटर दौड़ना था. लेकिन तनु ने 15 सैकण्ड में 100 मीटर दौड़ लिय और तनुश्री को BSF में चुना गया.
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बार्डर फिल्म से तय किया लक्ष्य
महिला कमाण्डर तनुश्री जब 4 वर्ष की थी तब राजस्थान में बॉर्डर फिल्म की शुटिंग हो रही थी. इसमें BSF का महत्वपुर्ण रोल था. फिल्म के कुछ दृश्य तनुश्री के दिमाग में छप गये. तनुश्री के पापा फिल्म के सीन दिखाकर इंस्पायर करते थे. तनु जब बड़ी हुई तो BSF के कामकाज को देखा कि भारतीय सेना की तरह यह भी एक फॉर्स है जो 24 घंटे देश की सुरक्षा के लिए तैनात रहती है. इसके बाद तनु ने नौकरी के लिए नहीं जबकि पैशन के लिए BSF को चुना.
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