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फादर स्टेन स्वामी की मौत

ByNI Desk,
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फादर स्टेन स्वामी की मौत
death of sten swamy : मुंबई। भीमा कोरेगांव हिंसा की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार 84 साल के सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की मौत हो गई है। सोमवार को उनकी जमानत याचिका पर बांबे हाई कोर्ट में सुनवाई होनी थी, जहां उनके वकील ने बताया कि उनका निधन हो गया है। रविवार को तबियत बिगड़ने के बाद उनको वेंटिलेटर पर रखा गया था। इससे पहले मई के अंत में उनको अदालत के आदेश पर एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था।

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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी, एनआईए ने आरोप लगाए थे कि स्टेन स्वामी के नक्सलियों से संबंध हैं और खासतौर पर वे प्रतिबंधित माओवादी संगठन के संपर्क में हैं। वे अक्टूबर 2020 से मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे और लगातार उनकी तबियत बिगड़ती जा रही थी। स्‍टेन स्‍वामी सुनने की क्षमता पूरी तरह खो चुके थे। वे लाइलाज पार्किंसन बीमारी से भी जूझ रहे थे। उन्‍हें स्‍पांडिलाइटिस की भी समस्‍या थी। पिछले साल मई में वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उसके बाद से उनकी स्थिति लगातार गंभीर थी। तबियत ज्यादा बिगड़ने पर 28 मई 2021 को बांबे हाई कोर्ट ने उन्हें निजी अस्पताल में दाखिल करवाने का आदेश दिया था। इससे पहले स्टेन स्वामी तलोजा जेल में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं की शिकायत की थी। इससे पहले उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान अदालत से कहा था कि जेल में उनकी सेहत लगातार गिरती जा रही है। उन्होंने अंतरिम जमानत की अपील करते हुए कहा था- यही स्थिति लगातार जारी रही तो जल्दी मेरी मौत हो जाएगी। death of sten swamy

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पिछले महीने एनआईए ने स्टेन स्वामी को जमानत दिए जाने का विरोध किया था। जांच एजेंसी ने कहा था कि उनकी तबीयत खराब होने का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। वो एक माओवादी हैं और उन्होंने देश में अस्थिरता लाने के लिए साजिश रची है। गौरतलब है कि 31 दिसंबर 2017 को पुणे के नजदीक भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। एनआईए ने कहा था कि इस हिंसा से पहले एलगार परिषद की सभा हुई थी। इस दौरान स्टेन ने भड़काऊ भाषण दिया था। इसी से हिंसा भड़की। गौरतलब है कि आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ने वाले स्टेन स्वामी ने करीब पांच दशक तक झारखंड में काम किया था। उन्होंने विस्थापन, भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दों को लेकर आदिवासी और स्थानीय लोगों की लड़ाई लड़ी। उन्होंने दावा किया था कि नक्सलियों के नाम पर तीन हजार लोगों को जेल भेजा गया। इनका केस अभी लंबित है। स्टेन स्वामी उनके लिए हाई कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे थे।
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