नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि परिसीमन और विधानसभा सीटों के बदलाव की प्रक्रिया सही है या नहीं। इससे पहले एक दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में परिसीमन और विधानसभा सीटों के बदलाव के खिलाफ दाखिल याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
केंद्र सरकार और चुनाव आयोग ने परिसीमन के खिलाफ याचिका का विरोध किया था। केंद्र सरकार ने कहा था कि परिसीमन खत्म हो चुका है और गजट में अधिसूचना भी हो चुकी है। दो साल बाद इस तरह याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। इस आधार पर सरकार ने कहा था कि अब अदालत कोई आदेश जारी न करे और याचिका को खारिज करे। सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने कानून के प्रावधानों को चुनौती नहीं दी है।
सरकार की ओर से कहा गया कि 2020 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। उसके बाद बार-बार आपत्ति मांगी गई, लेकिन ये याचिका 2022 में दाखिल की गई। अब परिसीमन खत्म हो चुका है और गजट में अधिसूचित भी हो चुका है। गौरतलब है कि श्रीनगर के रहने वाले हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू की याचिकाओं में कहा गया है कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। परिसीमन में विधानसभा क्षेत्रों की सीमा बदली गई है। उसमें नए इलाकों को शामिल किया गया है। सीटों की संख्या 107 से बढ़ा कर 114 कर दी गई है, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की भी 24 सीटें शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि यह जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 63 के मुताबिक नहीं है।