नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी दिल्ली नगर निगम का चुनाव स्पष्ट बहुमत के साथ जीती है लेकिन वह अपना मेयर नहीं बनवा पा रही है। नतीजे आने के करीब एक महीने बाद मेयर का चुनाव होना था, जहां शुक्रवार को भारी हंगामे और मारपीट के बाद चुनाव टाल दिया गया। अब मेयर के चुनाव के लिए नई तारीखों का इंतजार करना होगा। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि चुनाव हार चुकी भाजपा जोर जबरदस्ती से जनादेश छीनना चाह रही है।
गौरतलब है कि सात दिसंबर को दिल्ली नगर निगम के नतीजे आए थे और छह जनवरी को मेयर के चुनाव की तारीख तय की गई थी। छह जनवरी यानी शुक्रवार को दिल्ली सिविक सेंटर में चुनाव होना था, जहां पार्षदों की शपथ की प्रक्रिया को लेकर विवाद शुरू हुआ और आम आदमी पार्टी वे भाजपा के पार्षदों के बीच हाथापाई हो गई, जिसके बाद चुनाव स्थगित करना पड़ा। गौरतलब है कि 250 सदस्यों के दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी के 135 पार्षद जीते हैं जबकि भाजपा के 104 पार्षद जीते हैं।
मेयर चुनाव में 250 चुने हुए पार्षदों को वोट करना है। इसके साथ ही दिल्ली के सात लोकसभा सांसद, तीन राज्यसभा सांसद और विधानसभा के अध्यक्ष की ओर से मनोनीत 14 विधायकों को मतदान में हिस्सा लेना है। इस तरह कुल 274 लोगों को मतदान करना है और बहुमत का आंकड़ा 138 का है। भाजपा इस आंकड़े से बहुत दूर है, जबकि आम आदमी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत है। तभी भाजपा ने पहले ऐलान किया था कि वह दिल्ली नगर निगम में होने वाले मेयर चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी। लेकिन बाद में उसने अपनी पूर्व घोषणा से यू टर्न लेते हुए चुनाव में अपना प्रत्याशी उतार दिया।
बहरहाल, चुनाव से पहले उप राज्यपाल ने अपनी तरफ से 10 पार्षदों को मनोनीत कर दिया। इसके बाद सबसे वरिष्ठ पार्षद की बजाय भाजपा की सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी बना दिया। शुक्रवार को चुनाव से पहले सत्या शर्मा ने मनोनीत पार्षदों को पहले शपथ करानी शुरू की, जिसका आप ने विरोध किया। उनका कहना था कि पहले निर्वाचित सदस्यों की शपथ होती है। लेकिन सत्या शर्मा इसके लिए तैयार नहीं हुईं। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। मारपीट की नौबत आ गई, जिसमें कई पार्षद घायल हुए।