देहरादून | पिछले कुछ समय से चारधाम यात्रा ( Doubt created again chardhamyatra )को लेकर कई निर्णय बदले जा चुके है। हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने 1 जुलाई से जिला स्तर पर चारधाम यात्रा की अनुमति दे दी थी। इस फैसले पर उत्तराखंड हाइकोर्ट ने आप्पति जताई है। उत्तराखंड हाइकोर्ट ने इस फैसले को वापस लेने की बात कही है। जम्मू व कश्मीर में श्री अमरनाथ यात्रा को हाल ही में रद्द किया गया है। कोरोना के भय से बाबा बर्फानी की विश्व प्रसिद्ध यात्रा पर रोक लगा दी गई है। उत्तराखंड हाइकोर्ट ने अमरनाथ यात्रा की बात चारधाम यात्रा पर संशय जताते हुए कही थी। और कहा है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भी चारधाम की यात्रा रोकनी चाहिए या स्थगित कर देनी चाहिेए। दूसरी तरफ उत्तराखंड कैबिनेट ने कुछ शर्तों और गाइडलाइनों के साथ चारधाम यात्रा को शुरू करने के बारे में प्रेस को पूरी जानकारी दी थी। श्रद्धालुओं को चारधाम यात्रा को लेकर एक बार फिर इंतजार करना पड़ सकता है। क्योंकि कोरोना के भय से यात्रा पर फिर कोई बड़ा निर्णय आ सकते है। कोई भी खतरा मोल नहीं लेना चाहता है। इस कारण हाइकोर्ट ने यह बात कही है।
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डेल्टा प्लस वैरिएंट ने बढ़ाई चिंता ( Doubt created again chardhamyatra )
कोरोना की दूसरी लहर के मामलें तो कम हो रहे है लेकिन कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट चिंता पैदा कर रहा है। महाराष्ट्र में एक व्यक्ति की मौत डेल्टा प्लस वैरिएंट से हुई है। राजस्थान में भी डेल्टा प्लस वैरिएंट के मिलने से हड़कंप मच गया है। लोग अंदेशा लगा रहे है कि कहीं यह कोरोना की तीसरी लहर की तो चेतावनी नहीं। उत्तराखंड सरकार ( Doubt created again chardhamyatra )ने अपने हालिया आदेश में कहा था कि 1 से 10 जुलाई तक स्थानीय लोगों को चारधाम यात्रा की अनुमति है। जिन जिलों में चारधाम यात्रा स्थित है केवल उन लोगों को ही यात्रा की अनुमति दी थी। और यदि सबकुछ सही रहा तो आगे अन्य राज्यों को भी छूट दे दी जाएगी। लेकिन अह हाइकोर्ट ने चारधाम यात्रा शुरु करने को सवाल उठा दिए है।
वरिष्ठ अधिकारी धाम और ज़िला प्रशासन के बीच समन्वय के लिए पदस्थ होगा
राज्य सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम को चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तराकाशी ज़िलों के स्थानीय लोगों के लिए 1 जुलाई से खोला जाएगा। क्योकि चारधाम यात्रा ( Doubt created again chardhamyatra ) इन्हीं जिलों में स्थित है। सभी श्रद्धालुओं को कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट के साथ यात्रा में शामिल होने दिया जाएगा। मैदान से पहाड़ की ओर जाने के लिए भी कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य होगी। यात्रा के दौरान कोरोना की गाइडलाइन का पालन करना होगा। साथ ही, एक वरिष्ठ अधिकारी हर धाम मंदिर और ज़िला प्रशासन के बीच समन्वय के लिए पदस्थ रहेगा। इसके बावजूद हाई कोर्ट ने इस यात्रा को शुरू करने के बारे में चिंता ज़ाहिर की है।
क्या कहा उत्तराखंड हाइकोर्ट ने
जबकि हमें ये पता चल चुका है कि भीड़ जमा होने से कोविड-19 महामारी तेज़ी से फैलती है इसलिए यह अदालत अपने इस विचार पर कायम है कि कोविड-19 की आपदा को दोबारा आमंत्रित करने का कोई कदम न उठाया जाए। राज्य सरकार द्वारा चारधाम यात्रा ( Doubt created again chardhamyatra ) शुरू किए जाने से यही होगा कि तीर्थस्थलों पर भारी तादाद में लोगों के जुटने के मौके बनेंगे। इसलिए कोर्ट निर्देश देता है कि राज्य सरकार 1 जुलाई से यह यात्रा शुरू करने के अपने फैसले पर फिर सोचे। गौरतलब है कि बुधवार को कोविड-19 महामारी से जुड़ी कई याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने ये निर्देश दिए। बता दें कि बीते 20 जून को उनियाल ने राज्य सरकार के निर्णय के बारे में बताया था और इससे पहले 29 अप्रैल को संक्रमण के मद्देनज़र राज्य में चारधाम यात्रा को स्थगित किया गया था।