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कुपोषण के खिलाफ मोदी सरकार की जंग में जुटे दर्जनभर मंत्रालय

ByNI Desk,
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नई दिल्ली। सेहतमंद भारत की फिक्रमंद मोदी सरकार ने देश के आम लोगों को पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य सामग्री मुहैया कर पोषण की तमाम समस्याओं से निजात दिलाने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया है।

कुपोषण के खिलाफ छेड़ी गई इस जंग का मकसद छिपी हुई भूख यानी आम लोगों के आहार में पोषक तत्वों की कमी को दूर करना है। देश में 38 फीसदी से ज्यादा बच्चे बौनापन के शिकार हो जाते हैं और इनमें से 58 फीसदी से अधिक बच्चे रक्तहीनता यानी खून की कमी से पीड़ित होते हैं। लिहाजा, सरकार ने कूपोषण से निजात पाने के लिए यह अभियान चलाया है।

मानव स्वास्थ्य, खासतौर से पांच साल से कम उम्र के बच्चों की सेहत से जुड़ी इस बड़ी समस्या से निपटने के लिए एक दर्जन से अधिक मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारी आज (शुक्रवार) को मंथन करेंगे। अल्पपोषण व कुपोषण से न सिर्फ मानव की सेहत पर असर पड़ता है बल्कि इससे राष्ट्र की तरक्की भी अवरुद्ध हो जाती है।

प्रोटीन युक्त चावल से लेकर जिंक फोर्टिफायड यानी पोषक तत्व जिंक से युक्त मसूर तक देश विकसित पोषक तत्वों से भरपूर अनाजों की नई किस्में बच्चों और उनके गरीब माता-पिता को सेहतमंद बनाने में संजीवनी साबित होगी।

कूपोषण दूर करने के लिए सरकार द्वारा चलाए गए अभियान को तेज करने के लिए शुक्रवार को एक बैठक होने जा रही है जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और वाणिज्य एवं उद्योग, एमएसएमई, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और शिक्षा समेत एक दर्जन से ज्यादा मंत्रालयों के सचिव हिस्सा लेंगे।

मोदी सरकार ने जमीनी स्तर पर स्वास्थ्यवर्धक आहार के वितरण को अमलीजामा पहनाने के लिए विद्या शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग को शामिल करने की योजना बनाई है। सरकार ने फूड मैट्रिक्स में बायोफोर्टिफायड वेरायटीज को प्रमोट करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग यानी एमएसएमई को शामिल किया है।

एक अधिकारी ने बताया, “हमें प्रोटीन या विटामिन की कमी को दूर करने के लिए अब दवाई की जरूरत नहीं होगी। अगर, बच्चों को बायोफोर्टिफायड अनाज की या दाल की किस्में आहार में दी जाएगी तो उनमें प्रोटीन या विटामिन की कोई कमी नहीं रहेगी। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग को भी इस योजना में शामिल किया गया है ताकि इस प्रकार के अनाजों को देश में दूरदराज के इलाकों को वितरण सुनिश्चित हो।

सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कुपोषण की समस्या को लेकर चिंता जाहिर की थी क्योंकि इसके कारण लोगों की सेहत खराब होती है और वे विभिन्न प्रकार के रोगों के शिकार हो जाते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की एक रिपोर्ट से यह बात प्रकाश में आई कि बायोफोर्टिफायड क्रॉप बीमारी से रोकथाम करने के साथ-साथ शारीरिक सौष्ठव और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए रखने में भी मददगार हैं।

केंद्र सरकार के सहयोग से आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने अनाजों, दलहनों, सब्जियों और फलों की ऐसी किस्में विकसित की हैं जिनमें पोषण संबंधी गुणवत्ता में वृद्धि पाई गई हैं। मसलन, आलू की एक नई किस्म कुफरी माणिक में एंथोसायनिन पाया जाता है जिसमें मधुमेहरोधी, कैंसररोधी, दाहरोधी और मोटापारोधी गुण पाए जाते हैं। इसी प्रकार, गोभी की एक नई किस्म में प्रोविटामिन-ए पाया जाता है जो आखों की रोशनी को दुरुस्त बनाए रखने और शरीर की रोग-प्रतिरोधी क्षमता के लिए आवश्यक है।

आईसीएआर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 21.9 फीसदी आबादी अभी भी अत्यंत गरीबी में जीवन यापन करती है जिनमें कुपोषण के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्या बनी रहती है। करीब 38.4 फीसदी बच्चे बौनापन के शिकार हो जाते हैं और 21 फीसदी दुबले-पतले व शक्तिहीन होते हैं। वहीं, 58.4 फीसदी बच्चे और 53 फीसदी वयस्क खून की कमी से पीड़ित होते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, देश में करीब 70 फीसदी बच्चों में लोहे की कमी पाई जाती है। स्वास्थ्य संबंधी इन समस्यायों से निपटने का एक सबसे प्रमुख उपाय है कि बच्चों को बायोफोर्टिफायड फूड मुहैया हो। रिपोर्ट में कहा गया है कि आईसीएआर और प्रदेशों के कृषि विश्वविद्यायों के प्रयासों से 16 विभिन्न फसलों की 71 बायोफोर्टिफायड किस्में तैयार करने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।

 

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