तेहरान। ईरान में शुक्रवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे शनिवार को आए। कट्टरपंथी माने जाने वाले 60 साल के इब्राहिम रईसी चुनाव जीत गए हैं। रईसी इस समय ईरान की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। रईसी के अलावा चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों ने उन्हें जीत की बधाई दी है। इब्राहिम रईसी को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खुमैनी का समर्थन हासिल है।
चुनाव से पहले खुमैनी ने कहा था- अब हम पूर्व को प्राथमिकता देंगे। जबकि पारंपरिक तौर पर ईरान की विदेश नीति न पूर्व और न पश्चिम की रही है। ईरान में 1988 में पांच हजार राजनीतिक कैदियों को सामूहिक फांसी दी गई थी। माना जाता है कि इस सामूहिक फांसी में रईसी की भूमिका रही थी। हालांकि, रईसी इस मामले में बयान देने से बचते रहे हैं। अमेरिका ने भी इस मामले में रईसी की निंदा की थी।
बहरहाल, शुक्रवार को हुए मतदान में शाम पांच बजे तक 23 फीसदी यानी 1.4 करोड़ लोगों ने वोट किया था। ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में इस बार चार उम्मीदवार मैदान में थे। चुनाव से पहले खुमैनी के नेतृत्व वाले गार्जियन कौंसिल ने सैकड़ों नेताओं को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दे दिया था। ये नेता मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी के समर्थक थे। इसलिए रईसी को चुनौती देने वाला कोई नहीं बचा। चुनाव में 42 साल बाद सबसे कम मतदान हुआ। इसे पहले 2017 के चुनाव में 73 फीसदी वोटिंग हुई थी। ईरान में छह करोड़ से ज्यादा वोटर्स हैं। ध्यान रहे अपने परमाणु कार्यक्रम के कारण ईरान का पश्चिमी देशों से तनाव है। रूहानी इस वादे के साथ पहली बार राष्ट्रपति चुनाव जीते थे। उन्हीं के कार्यकाल में 2015 में ईरान ने पश्चिमी देशों से परमाणु समझौता किया था। ईरान के कट्टरपंथी नेता परमाणु कार्यक्रम से पीछे हटने के विरोध में हैं। माना जा रहा है कि खुमैनी ने पश्चिमी देशों को जवाब देने के लिए रईसी को सामने किया है।