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आर्थिक सर्वे में सुधारों पर जोर

ByNI Desk,
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आर्थिक सर्वे में सुधारों पर जोर
नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र शुक्रवार को शुरू हुआ और पहले दिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। सीतारमण शनिवार को अपना दूसरा बजट पेश करेंगी। उससे एक दिन पहले उन्होंने मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यन द्वारा तैयार आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। सुब्रह्मण्यन ने कहा कि उनकी टीम ने छह महीने में दूसरा आर्थिक सर्वेक्षण तैयार किया। गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी की दूसरी सरकार का बजट जुलाई में पेश किया गया था। उस समय भी आर्थिक सर्वेक्षण आया था। बहरहाल, निर्मला सीतारमण द्वारा पेश आर्थिक सर्वेक्षण में सुधारों पर खासा जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि सरकार को अपने बहुमत का इस्तेमाल आर्थिक सुधारों में तेजी लाने के लिए करना चाहिए ताकि वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था को तेजी से पटरी पर लाया जा सके। इसमें यह भी कहा है कि देश में कारोबार के लिए बेहतर माहौल बनाने के लिए भी आर्थिक सुधारों की जरूरत है। गौरतलब है कि तीन दिन पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा था कि सिर्फ मौद्रिक उपायों से आर्थिकी बेहतर नहीं होगी, उसके लिए सुधारों की जरूरत है। बहरहाल, आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार को पांच साल में चार करोड़ रोजगार देने का चीन का फॉर्मूला सुझाया गया है। इसमें कहा गया है कि मेक इन इंडिया अभियान में असेंबलिंग इन इंडिया फॉर वर्ल्ड को शामिल कर रोजगार और निर्यात पर ध्यान देने से 2025 तक अच्छे लेतन वाली चार करोड़ और 2030 तक आठ करोड़ नौकरियां दी जा सकती हैं। इससे पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक तेजी से बढ़ना भी संभव होगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने चीन और भारत के निर्यात के आंकड़ों में फर्क बताते हुए कहा कि चीन कामगारों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर देता है। भारत को भी ऐसा करने की जरूरत है। आर्थिक विकास दर को लेकर इसमें अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी की विकास बढ़ कर छह से साढ़े छह फीसदी पहुंच सकती है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 में विकास दर का अनुमान सात फीसदी से घटा कर पांच फीसदी किया गया है। यह 11 साल में सबसे कम विकास दर होगी। सर्वेक्षण में कहा गया है कि दुनिया की आर्थिक सुस्ती से भारत भी प्रभावित हो रहा है। वित्तीय सेक्टर की दिक्कतों के चलते निवेश में कमी की वजह से भी चालू वित्त वर्ष में विकास घटी। लेकिन, जितनी गिरावट आनी थी आ चुकी है। अगले वित्त वर्ष से विकास दर बढ़ने की उम्मीद है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि प्याज जैसी वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए सरकार के उपाय प्रभावी साबित होते नहीं लग रहे। इसमें बताया गया है कि अप्रैल 2019 में महंगाई दर 3.2 फीसदी से घट कर दिसंबर 2019 में 2.6 फीसदी रह जाने से पता चलता है कि मांग में कमी की वजह से अर्थव्यवस्था दबाव में है। मोदी ने सर्वेक्षण की तारीफ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण की तारीफ की। उन्होंने कहा कि इसमें भारतीयों के लिए संपत्ति सृजन पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में उद्यमिता, निर्यात व कारोबार के अनुकूल माहौल बनाकर पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहुआयामी रणनीति का खाका पेश किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विट किया- आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में 130 करोड़ भारतीयों के लिए संपत्ति सृजन पर जोर दिया गया है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वृद्धि दर में जारी सुस्ती का दौर अब समाप्त हो चुका है और अगले वित्त वर्ष 2020-21 में वृद्धि दर सुधर कर छह से साढ़े छह फीसदी के दायरे में पहुंच जाएगी। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि संपत्ति का वितरण होना चाहिए लेकिन वितरण से पहले संपत्ति का सृजन करने की जरूरत होती है। समीक्षा में संपत्ति सृजित करने वालों को सम्मान दिए जाने पर जोर दिया गया है।
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