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शिक्षण संस्थानों को ड्रेस तय करने का अधिकार

ByNI Desk,
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शिक्षण संस्थानों को ड्रेस तय करने का अधिकार
नई दिल्ली। कर्नाटक में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पर पाबंदी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में गुरुवार को अदालत ने एक बेहद अहम टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि नियमों के मुताबिक, शैक्षणिक संस्थानों को अपना यूनिफॉर्म तय करने का अधिकार है और हिजाब इससे अलग है। सर्वोच्च अदालत इस मामले पर लगातार सुनवाई कर रही है। अब आगे की सुनवाई सोमवार को होगी। इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नियम कहते हैं कि शैक्षणिक संस्थानों को यूनिफॉर्म को निर्धारित करने का अधिकार है। हिजाब अलग है। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि कर्नाटक के जिस स्कूल से यह मुद्दा उठा है उसका प्रबंधन भी यही दलील देते आया है। अदालत ने इस बात पर भी ध्यान दिया है कि हिजाब पर पाबंदी से लड़कियां स्कूल छोड़ रही हैं। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सवाल किया था कि क्या हिजाब प्रतिबंध और इस मुद्दे पर हाई कोर्ट के फैसले के कारण कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों से छात्रों के पढ़ाई छोड़ने के संबंध में कोई प्रामाणिक आंकड़ा है। याचिकाकर्ताओं में से एक की तरफ से पेश हुए वकील ने छात्राओं के स्कूल छोड़ने का मुद्दा उठाया था। इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा- क्या आपके पास प्रमाणिक आंकड़े हैं कि हिजाब प्रतिबंध और उसके बाद हाई कोर्ट के फैसले के चलते 20, 30, 40 या 50 छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी? दूसरी ओर हिजाब पर पाबंदी के खिलाफ याचिका देने वालों की ओर से दलीलव देते हुए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील डॉ. कोलिन गोंसाल्वेज ने कहा कि हिजाब वैसे ही लड़कियों को सुरक्षा देता है जैसे कि सिखों को कृपाण और पगड़ी देती है। हालांकि अदालत ने पहले कहा था कि रुद्राक्ष, कृपाण से हिजाब की तुलना नहीं की जा सकती।
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