नई दिल्ली। बाला साहेब ठाकरे के बनाए शिव सेना पर दावेदारी के मामले में चुनाव आयोग ने फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट से नबाम रेबिया मामले में फैसला टलने के बाद चुनाव आयोग ने शिव सेना से टूट कर अलग हुए एकनाथ शिंदे गुट को असली शिव सेना के रूप में मान्यता दे दी। साथ ही तीर कमान का चुनाव चिन्ह भी शिंदे गुट को मिल गया है। यह उद्धव ठाकरे गुट के लिए बड़ा झटका है क्योंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गुट अब शिव सेना नाम और तीर कमान चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करेगा। आयोग के फैसले का विरोध करते हुए शिव सेना के संजय राउत ने कहा कि देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है।
गौरतलब है कि शिव सेना में विभाजन के बाद दोनों पार्टियों को अस्थायी रूप से दूसरा नाम और चुनाव चिन्ह दिया गया था। लेकिन अब आयोग के फैसले के बाद एकनाथ शिंदे गुट असली शिव सेना है, जबकि उद्धव ठाकरे गुट को शिव सेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे के नाम से जाना जाएगा। उसका चुनाव चिन्ह मशाल है। चुनाव आयोग ने शिव सेना मामले का निपटारा करते हुए यह भी कहा कि शिव सेना के उद्धव गुट की पार्टी का संविधान अलोकतांत्रिक है।
आयोग ने कई महीनों की सुनवाई में पाया है कि उद्धव ठाकरे गुट में लोगों को बिना किसी के चुनाव के नियुक्त किया गया था, जो कि असंवैधानिक है। आयोग ने यह भी पाया कि शिव सेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई। उसने कहा कि इन तरीकों को चुनाव आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका था। चुनाव आयोग के फैसले के बाद महाराष्ट्र में शिव सेना से अब उद्धव गुट की दावेदारी खत्म मानी जा रही है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में शिव सेना बनाम शिंदे गुट के विवाद पर फैसला 21 फरवरी तक टाल दिया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा- नबाम रेबिया के सिद्धांत इस मामले में लागू होते हैं या नहीं, केस को सात जजों की बेंच को भेजा जाना चाहिए या नहीं, ये मौजूदा केस के गुण दोष के आधार पर तय किया जा सकता है। इसे मंगलवार को सुनेंगे। गौरतलब है कि चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने इस केस को सात जजों की बेंच को भेजने का फैसला एक दिन पहले सुरक्षित रख लिया था।
बेंच में जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं। इस बेंच को तय करना है कि नबाम रेबिया मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच के फैसले को सात जजों की बेंच को भेजना है या नहीं। नबाम रेबिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर स्पीकर को हटाने का नोटिस लंबित है तो स्पीकर विधायकों की अयोग्यता के मामले पर फैसला नहीं कर सकते हैं। इस फैसले से एकनाथ शिंदे गुट को ताकत मिलती है।