नागपुर। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने जाति व्यवस्था खत्म करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि जाति और वर्ण की मौजूदा व्यवस्था खत्म होनी चाहिए। उनके इस बयान को आरक्षण की व्यवस्था से जोड़ कर देखा जा रहा है। ध्यान रहे संघ प्रमुख पहले भी आरक्षण की समीक्षा की जरूरत बता चुके हैं और इस साल विजयादशमी की रैली में उन्होंने रोजगार को लेकर भी अहम बातें कही थीं। उन्होंने कहा था कि कोई भी सरकार या निजी क्षेत्र 10, 20 या 30 फीसदी से ज्यादा लोगों को नौकरी नहीं दे सकती है। लोगों को खुद ही काम करना होता है।
बहरहाल, नागपुर में शुक्रवार को एक किताब के विमोचन के दौरान सर संघचालक मोहन भागवत ने जाति और वर्ण व्यवस्था को खत्म करने की अपील की। भागवत ने कहा- समाज का हित चाहने वाले हर व्यक्ति को यह कहना चाहिए कि वर्ण और जाति व्यवस्था पुरानी सोच थी, जिसे अब भूल जाना चाहिए। कोई सात साल पहले संघ प्रमुख ने बिहार चुनाव के समय आरक्षण की समीक्षा की जरूरत बताई थी, जिसे लेकर बड़ा विवाद हुआ था।
मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि ऐसी कोई भी चीज जो भेदभाव पैदा कर रही हो उसे पूरी तरह से खारिज कर देना चाहिए। उन्होंने कहा- भारत हो या फिर कोई और देश, पिछली पीढ़ियों ने गलतियां जरूर की हैं। हमें उन गलतियों को स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। अगर आपको लगता है कि हमारे पूर्वजों ने गलती की है, ये बात मान लेने पर उनका महत्व कम हो जाएगा तो ऐसा नहीं है, क्योंकि हर किसी के पूर्वजों ने गलतियां की हैं। आरएसएस प्रमुख के इस बयान को आरक्षण की जाति आधारित व्यवस्था से जोड़ कर देखा जा रहा है। अगर जाति और वर्ण की व्यवस्था खत्म होगी तो आरक्षण अपने आप खत्म होगा।
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