समाचार मुख्य

विरोध के अधिकार पर विचार करेगी अदालत

ByNI Desk,
Share
विरोध के अधिकार पर विचार करेगी अदालत
नई दिल्ली। किसानों के आंदोलन से देश की सर्वोच्च अदालत इतनी नाराज है कि उसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों के विरोध करने के अधिकार पर ही विचार करने का ऐलान कर दिया है। केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की इजाजत मांगने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगा कि क्या विरोध करने का अधिकार एक पूर्ण अधिकार है। Farmer protest agriculture bill गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 10 महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं और वे दिल्ली की सीमा पर धरने पर बैठे हैं। दिल्ली की सीमा पर हाईवे जाम किए जाने से अदालत काफी नाराज है। इसी वजह से किसान संगठनों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की इजाजत मांगी है। हालांकि यह लगभग तय है कि अदालत उन्हें यह इजाजत नहीं देगी क्योंकि पहले ही दिन अदालत ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि किसानों ने पूरे शहर का दम घोंट दिया है और अब वे शहर के अंदर प्रदर्शन करना चाहते हैं। Farmers Movement Supreme Court बहरहाल, अदालत ने किसानों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी किसान संगठनों को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही अदालत ने लखीमपुर खीरी हिंसा पर बड़ी टिप्पणी भी की। अदालत ने कहा है कि जब ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं, तो कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है। प्रदर्शनकारी दावा तो करते हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है, लेकिन जब वहां हिंसा होती है तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होते हैं। Read also गीतकार Javed Akhtar परेशानी में उलझे, RSS के खिलाफ टिप्पणी पर दर्ज हुई FIR केंद्र की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि लखीमपुर खीरी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए किसानों के विरोध प्रदर्शन पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत है। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगा कि क्या विरोध करने का अधिकार एक पूर्ण अधिकार है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने केस की सुनवाई की। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं में जनहानि के मामले सामने आते हैं, संपत्ति को नुकसान पहुंचता है, लेकिन कोई इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता।
Published

और पढ़ें