
पटना। बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल एक बार फिर विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायकों ने पाला बदलकर राजद का दामन थाम लिया। इसके बाद लालू प्रसाद की पार्टी विधानसभा में नंबर एक पार्टी बन गई। गौरतलब है कि चुनाव के बाद भी राजद ही सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन मुकेश सहनी की पार्टी के तीन विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी।
बहरहाल, बुधवार को चार विधायकों ने राजद का दामन थामा। विधानसभा में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव खुद गाड़ी चलाकर चारों विधायकों- शाहनवाज आलम, मोहम्मद इजहार अस्फी, अजहर नईमी और सैयद रुकनुदीन को लेकर विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के चैंबर में पहुंचे। वहीं पर चारों विधायकों ने अपना समर्थन पत्र सौंपा। अब एआईएमआईएम में सिर्फ उसके प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल ईमान ही रह गए हैं।
हालांकि, एमआईएम में हुई इस टूट का असर नीतीश कुमार की सरकार पर नहीं पड़ेगा। राज्य में बहुमत का आंकड़ा 122 विधायकों का, जबकि जदयू के नेतृत्व वाले एनडीए के पास 127 विधायक हैं। जदयू और भाजपा के अलावा जीतनराम मांझी की पार्टी हम भी सरकार के साथ है और एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन सरकार को है। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा और बसपा सहित छह दलों का गठबंधन बनाया था। एमआईएम के कुल 24 उम्मीदवार लड़े थे, जिसमें से सीमांचल में 16 उम्मीदवारों थे। उनमें से पांच ने जीत दर्ज की थी।