नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से नाराजगी जताई है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की ओर से अनुशंसित उम्मीदवारों के बारे में खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने पर सख्त ऐतराज जताया है। सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव का यह नया बिंदु है। कॉलेजियम की ओर से अनुशंसित उम्मीदवारों की पड़ताल करने के बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की ओर से उनके बारे में दी गई रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते सार्वजनिक कर दिया था।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अदालत की वेबसाइट पर जज के लिए तीन उम्मीदवारों की पदोन्नति पर सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक कर किया था। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिन से सरकार और उच्च न्यायपालिका के बीच कई मुद्दों पर टकराव चल रहा है। इस टकराव के बीच कॉलेजियम की ओर से सुझाए गए तीन नामों पर सरकार की आपत्तियों का खुलासा करते हुए सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी रॉ और इंटेलीजेंस ब्यूरो यानी आईबी के दस्तावेजों को सार्वजनिक कर दिया गया था।
इसे लेकर रिजीजू ने मंगलवार को कहा कि वे उचित समय पर प्रतिक्रिया देंगे। हालांकि उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी राय स्पष्ट कर दी। मीडिया से बात करते हुए कानून मंत्री ने कहा- रॉ या आईबी की गुप्त और संवेदनशील रिपोर्ट को सार्वजनिक करना गंभीर चिंता का विषय है, जिस पर मैं उचित समय पर प्रतिक्रिया दूंगा। उन्होंने कहा आज उपयुक्त समय नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
चीफ जस्टिस के सामने यह मुद्दा उठाने के सवाल पर रिजीजू ने कहा- चीफ जस्टिस और मैं अक्सर मिलते हैं। हम हमेशा संपर्क में रहते हैं। वे न्यायपालिका के प्रमुख हैं, मैं सरकार और न्यायपालिका के बीच सेतु हूं। उन्होंने कहा- हमें एक साथ काम करना होगा, हम अलगाव में काम नहीं कर सकते। इसके बाद ही उन्होंने रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने पर कहा- यह एक विवादास्पद मुद्दा है, इसे किसी और दिन के लिए छोड़ देते हैं।
इससे पहले, केंद्रीय कानून मंत्री रिजीजू ने सोमवार को कहा था कि जजों को चुनाव नहीं लड़ता पड़ता है और नियुक्ति के बाद उनकी सार्वजनिक आलोचना भी नहीं होती है। उन्होंने आगे कहा था- इसके बावजूद लोग उन्हें देखते हैं और न्याय देने के तरीके से उनका आकलन करते हैं। असल में उच्च न्यायपालिका में नियुक्त, तबादले और प्रमोशन के कॉलेजियम सिस्टम को लेकर केंद्र और उच्च न्यायपालिका में ठनी है। कानून मंत्री ने कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि रखे जाने की बात भी कही है।