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नोएडा में 3 महिला आईपीएस सहित दिखेगा 'दस का दम'

ByNI Desk,
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नोएडा में 3 महिला आईपीएस सहित दिखेगा 'दस का दम'
गौतमबुद्ध नगर। यहां पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किए जाने को लेकर एक दशक से चल रही माथा-पच्ची का परिणाम सोमवार को सामने आ गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने राजधानी लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हाईटेक जिले गौतमबुद्ध नगर में कमिश्नर-सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है। गौतमबुद्ध नगर में कमिश्नर सिस्टम लागू करवाने के लिए 10 आईपीएस के दमखम की परीक्षा होगी। इन 10 में तीन महिला आईपीएस को भी योगी की हुकूमत ने जगह दी है। योगी के विश्वासपात्र आईपीएस की इस टीम में शामिल होने वाली श्रीपर्णा गांगुली दबंग और 2004 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। श्रीपर्णा ने योगी सरकार के ही बलिया से दबंग विधायक सुरेंद्र सिंह, उनके बेटे विद्या भूषण सिंह सहित एमएलए के 17-18 गुर्गों पर बलिया जिले के सोनबरसा इलाके में हुए एक जमीनी विवाद को लेकर एफआईआर दर्ज करवा डाली थी। राजनीतिक गलियारों में तहलका मचा देने वाली उस एफआईआर को दर्ज करने से कुछ दिन पहले ही, मुख्यमंत्री ने श्रीपर्णा गांगुली को बलिया में पुलिस अधीक्षक की कुर्सी दी थी। फतेहपुर की पहली महिला पुलिस अधीक्षक बनने का सेहरा भी श्रीपर्णा के ही सिर बंधा था। श्रीपर्णा गांगुली पूर्व में गौतमबुद्ध नगर जिले में पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) भी रह चुकी हैं। श्रीपर्णा गांगुली 13 जनवरी, 2020 की शाम तक उत्तर प्रदेश जेल मुख्यालय में उप-महानिरीक्षक (कारागार प्रशासन एवं सुधार) थीं। गौतमबुद्ध नगर में प्रभार संभालने के लिए उन्हें सोमवार रात जेल मुख्यालय से रिलीव कर दिया गया। मंगलवार को इसकी पुष्टि जेल मुख्यालय के ही एक अधिकारी ने की। इसे भी पढ़ें : केरल सरकार सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची गौतमबुद्ध नगर में कमिश्नर सिस्टम लागू होते ही उन्हें यहां का अब अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध एवं मुख्यालय) बनाकर भेजा गया है। सन् 1961 में लखनऊ में जन्मी श्रीपर्णा मास्टर ऑफ आर्ट्स हैं। नई-नई कमिश्नरी गौतमबुद्ध नगर की कमान 1995 बैच के आईपीएस आलोक सिंह को सौंपी गई है। अलीगढ़ में जन्मे आलोक सिंह आईपीएस के साथ-साथ बीएससी (विज्ञान, गणित, भौतिकी), एमए (अर्थशास्त्र) और एमबीए (विपणन व वित्त) जैसी उच्च शिक्षा की डिग्रियां हासिल कर चुके हैं। आलोक सिंह अब तक मेरठ परिक्षेत्र के अपर पुलिस महानिदेशक पद पर तैनात थे। अब उन्हें गौतमबुद्ध नगर मंडल का पुलिस आयुक्त बनाया गया है। आलोक सिंह को योगी सरकार ने एक जनवरी, 2020 को ही मेरठ परिक्षेत्र का अपर पुलिस महानिदेशक बनाया था। गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नर टीम में जिन अन्य दो महिला आईपीएस अफसरों को जगह मिली है, वे दोनों 2014 बैच की आईपीएस हैं डॉ. मीनाक्षी और वृंदा शुक्ला। वर्तमान में सुलतानपुर की पुलिस अधीक्षक एमबीबीएस मीनाक्षी झारखंड की और राज्य पुलिस महानिदेशालय में तैनात वृंदा शुक्ला मूलत: हरियाणा के पंचकुला की रहने वाली हैं। इन दोनों ही महिला अफसरों को उपायुक्त यानी डीसीपी बनाया गया है। इसी प्रकार 2007 बैच के आईपीएस नितिन तिवारी (फिलहाल मेरठ में कमांडेंट पीएसी), 2010 बैच के आईपीएस हरीश चंद्र (वर्तमान में लखनऊ एसआईटी में पुलिस अधीक्षक), 2012 बैच के आईपीएस संकल्प शर्मा (फिलहाल पुलिस अधीक्षक सुरक्षा, लखनऊ), 2011 बैच के आईपीएस राजेश एस. और प्रादेशिक पुलिस सेवा के प्रोन्नत होकर आईपीएस बने राजेश कुमार सिंह को भी गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नर की टीम में बहैसियत डीसीपी तैनाती दी गई है। इसे भी पढ़ें : बसपा ने फिर खेला ब्राम्हण कार्ड नितिन तिवारी ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के मूल निवासी हैं। राजनीति शास्त्र में एमए पास हरीश चंद्र मूलत: दिल्ली के रहने वाले हैं। जबकि संकल्प शर्मा जयपुर, राजस्थान के मूल निवासी हैं। इसी तरह फिलहाल लखनऊ में एसपी सिक्युरिटी एंड ट्रेनिंग राजेश एस. मूलत: तमिलनाडु, राजेश कुमार सिंह मेरठ पीएसी की 44वीं वाहनी में सेना नायक हैं। राजेश मूलत: बलिया (उप्र) के रहने वाले हैं। गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नर की टीम में श्रीपर्णा गांगुली के अलावा अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) का पद भी सृजित किया गया है। इस पद पर तैनात किया गया है भरतपुर राजस्थान के मूल निवासी और इस वक्त डीआईजी पीएसी मुख्यालय के पद पर तैनात अखिलेश कुमार को। पुलिस कमिश्नर प्रणाली के अमल में आते ही अब गौतमबुद्ध नगर को तीन जोन और 10 सर्किल में बांट दिया गया है। सर्किल की जिम्मेदारी 10 आईपीएस और 28 पीपीएस के कंधों पर होगी। सर्किल को अब तक पुलिस क्षेत्राधिकारी देखा करते थे। अब सहायक पुलिस आयुक्त यानी एसीपी देखेंगे। गौतमबुद्ध नगर पुलिस आयुक्त मुख्यालय को एक कमिश्नर, दो एडिशनल पुलिस कमिश्नर, सात डीसीपी, नौ एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर, 17 एसीपी, एक सहायक रेडियो अधिकारी, एक मुख्य अग्निशमन अधिकारी सहित कुल 38 आला-अफसर मुहैया कराए गए हैं। यानी, जिस शहर में साइबर क्राइम की बहुतायत हो, वहां के पुलिस कमिश्नर मुख्यालय में एक भी साइबर विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं की गई है।
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