
अमृतसर। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की स्थापना के सौ साल पूरे होने जा रहे हैं, परंतु कुछ अपने ही लोगों की तरफ से इस को बदनाम करने की भद्दी कोशिश की जा रही है।
एसजीपीसी के प्रधान भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल, वरिष्ठ उप प्रधान भाई राजिन्दर सिंह मेहता और महा सचिव हरजिन्दर सिंह धामी ने गुरुवारा को संयुक्त रूप में यहाँ से जारी प्रेस बयान में कहा कि शिरोमणि समिति के पूर्व मुख्य सचिव हरचरण सिंह की तरफ से शिरोमणी समिति की कार्यशैली पर सवाल उठाने से उनका दोहरा चेहरा सामने आ गया है।
उन्होंने कहा कि हरचरन सिंह खुद एसजीपीसी में उच्च पद पर कार्यशील रहे हैं। अपने समय दौरान उसने संस्था के हर फ़ैसले पर सहमति देते हुए फाइलें आगे भेजी थी। उन्होंने कहा कि उसकी तरफ से लगाये गये इल्ज़ामों में यदि कोई वज़न है तो वह फाइलों पर दस्तख़त क्यों करता रहा।
भाई लोंगोवाल ने कहा कि हर संकल्प हरचरण सिंह ने अपने हस्ताक्षरों के साथ ही रिलीज किया। 2015 में राम रहीम सिंह की माफी सम्बन्धित अंतिम समिति की तरफ से किये गए फैसले वाले संकल्प पर भी हरचरन सिंह के ही दस्तखत हैं। उन्होंने कहा कि हरचरण सिंह जानबूझकर संस्था को बदनाम कर रहे हैं।