नई दिल्ली। महाराष्ट्र में जून के महीने में शुरू हुआ सियासी संकट समाप्त हो गया है लेकिन कानूनी विवाद अभी तक चल रहा है। शिव सेना पर नियंत्रण से लेकर विधायकों की अयोग्यता और पीठासीन पदाधिकारियों के शक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बुधवार को इसकी सुनवाई की। सुनवाई के दौरान शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि पार्टी के चुनाव चिन्ह का मामला है इसलिए चुनाव आयोग को निर्णय लेने दें, जिसका उद्धव ठाकरे गुट ने विरोध किया।
उद्धव ठाकरे गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई होनी है। ऐसे में विधायकों की मांग पर चुनाव आयोग कैसे सुनवाई कर सकती है? सिब्बल ने आगे कहा- अगर शिंदे को शिव सेना का चुनाव चिन्ह मिल गया, तो सुनवाई व्यर्थ हो जाएगी। कोर्ट में अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी। गौरतलब है कि 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केस को संविधान पीठ को ट्रांसफर कर दिया था।
शिव सेना का विवाद 20 जून से शुरू हुआ था, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 20 विधायक सूरत होते हुए गुवाहाटी चले गए थे। इसके बाद शिंदे गुट ने शिव सेना के 55 में से 39 विधायक के साथ होने का दावा किया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था। पिछली सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि उनके गुट के ऊपर अयोग्यता का आरोप गलत है क्योंकि उनका गुट ही असली शिव सेना है।
पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि शिंदे गुट में जाने वाले विधायक संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से तभी बच सकते हैं, अगर वो अलग हुए गुट का किसी अन्य पार्टी में विलय कर देते हैं। उन्होंने कहा था कि उनके बचाव का कोई दूसरा रास्ता नहीं है।