
कोरोना काल में सभी लोग घर से बाहर निकलने से कतरा रहे है। बाहर निकलते ही सभी को कोरोना का खौफ ता रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर में लोग कोरोना के खौफ से नहीं बल्कि हाथियों के भय से रात होते ही कैद हो जाते है। यहां के लोग हाथियों से अपनी जान बचाने के लिए जेल में बंद हो जाते है। दंडकारण्य के घने जंगल मे मौजूद कांकेर के भानुपरतापुर के कई गांवों के सैकड़ों आदिवासियों रात होते ही अपनी जान बचाने के लिए भागते है। इन गांवों मे निर्माणाधीन जेल मौजूद है। जिसमें गांव वाले अपनी जान बचाने के लिए रात को रहते है। इस गांव में हाथी 20 से ज्यादा आते है। दिन में ये हाथी शांत रहते है पहाड़ियों पर सो जाते है लेकिन रात होते ही ये हाथी उत्पात मचाना शुरू कर देते है। पूरे गांव में घूमकर ये हाथी रात को गांव वालों को परेशान करते है।
रात को जेल सुबह स्वतंत्र
हाथियों को ऐसी उत्पात मचाते हुए बहुत समय हो गया है। लेकिन इसका कोई हल नहीं निकाला गया है। ग्रामीणों के मुताबिक हाथी यहां हर साल आते है और यहीं से ही वापिस लौट जाते है। पिछले एक माह के अंदर इन हाथियों ने छत्तीसगढ़ के महासमुंद और जशपुर में 3 लोगों को अपने पैरों तले कुचलकर मार डाला है। इसके चलते गांव वालों में डर का माहौल बना हुआ है। शाम ढ़लते ही सभी ग्रामीण अपनी जान की सुरक्षा हेतु परिवार वालों के साथ जेल में बंद हो जाते है। रात को कैदी बन जाते है और सवेरे होते ही अपने घरों को चल पड़ते है। ग्रामीण महिला बिजिकट्टा ने कहा कि इससे पहले हमने कभी हाथियों का खौफ नहीं देखा है। हाथियों के भय से शाम 4 बजे खाना बनाकर अपने बच्चों को लेकर गाव से जेल की ओर रवाना हो जाते है। कैदियों की तरह यहां रहते है उसके बाद सुबह होते ही खेतो में काम के लिए वापस लौट जाते है।
पहले भी हो चुका है ऐसा
ग्रामीण सकलु ने बताया कि हाथियों के आतंक के कारण हमे जेल में कैदियों की तरह रहना पड़ रहा है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं देखे। डर लगता है. 2 – 3 बजे के बाद ही जेल के लिए आना पड़ता है। ग्रामीणों और हाथियों के बीच द्वंद को लेकर सरकार का कहना है कि सरकार ग्रामीणों की सुरक्षा के कटिबद्ध है। ये हाथियों के भ्रमण का इलाका है पिछले साल भी हाथी यहां आए थे और यही से वापिस लौट गए थे।
विपक्ष का वार भ्रष्टाचार
मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने कहा है कि हाथी रायगढ़ कोरबा होते हुए बारनवापारा के जंगल से नीचे होते हुए यहां तक पहुंचे थे। अभी कांकेर में है और पिछले साल भी यहां तक आए थे। यही से वो वापस लौट जाते हैं। छत्तीसगढ़ में हाथी और मानव द्वंद की कहानी काफी पुरानी है। यहां पिछले 5 वर्षों में 350 से ज्यादा लोगों की मौत मानव हाथी द्वंद में हुई है। वहीं 25 से ज्यादा भी इसमें मारे गए। छत्तीसगढ़ में मानव और हाथी द्वंद रोकने के 2000 वर्ग किमी में हाथियों के लिए लेमरू रिजर्व एलीफैंट फ्रंट भी प्रस्तवित है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस योजना में सिर्फ भ्रष्टाचार कर रही है।भाजपा के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सरकार को हाथियों और मानवों के द्वंद्व से कोई लेना देना नहीं है इसमें सिर्फ भ्रष्टाचार किया जा रहा है। सरकार ने ढाई साल में इसके लिए कुछ नहीं किया।