नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में नए हफ्ते की शुरुआत भी गतिरोध के साथ हुई है। सोमवार को विपक्षी पार्टियों ने एक बार फिर चीन पर चर्चा की मांग की। राज्यसभा में काम रोक कर चीन पर चर्चा कराने का नोटिस विपक्ष ने दिया और स्वीकार नहीं किए जाने पर सदन से वाकआउट किया। लोकसभा में भी विपक्ष ने चीन का मुद्दा उठाया। कांग्रेस के साथ साथ एमआईएम ने भी चर्चा की मांग की। गौरतलब है कि पिछले पूरे हफ्ते इस मसले पर गतिरोध बना रहा था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले सोमवार को तवांग सेक्टर में चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प पर बयान दिया था लेकिन विपक्ष चर्चा की मांग कर रहा है।
नए हफ्ते के पहले दिन चीन पर चर्चा को लेकर राज्यसभा में विपक्ष ने हंगामा किया। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीन और भारत के सैनिकों के बीच हुई झड़प के मुद्दे पर चर्चा करने के नोटिस को नामंजूर किए जाने के बाद विपक्ष ने वाकआउट किया। दोनों सदनों में चीन के मुद्दे पर हंगामे को लेकर केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने विपक्ष पर निशाना साधा है।
पीयूष गोयल ने कहा- विपक्ष निचले स्तर की राजनीति कर रही है। कई ऐसे संवेदनशील मुद्दे होते हैं, जिस पर यूपीए सरकार के दौरान भी चर्चा नहीं की जाती थी। उन्होंने याद दिलाया कि चीन के मसले पर ही उस समय की विपक्षी पार्टी भाजपा चर्चा की मांग कर रही थी पर सरकार उसके लिए तैयार नहीं हुई। गोयल ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हमारी सेना को हतोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने सेना पर जिस तरह के बयान दिए हैं, उससे सेना का मनोबल टूटेगा।
दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- चीन हमारी जमीन पर कब्जा कर रहा है। इस मुद्दे पर हम चर्चा नहीं करेंगे तो और क्या चर्चा करेंगे? हम सदन में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं। लेकिन सरकार चर्चा से भाग रही है। उधर लोकसभा में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- हमारी फौज बहादूर है मगर हमारी सरकार चीन के मामले में कमजोर है। सरकार इस मुद्दे पर संसद में बहस क्यों नहीं कराती?
लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने चीन के साथ साथ कश्मीरी पंडितों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा- कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़ रहे हैं। आतंकी कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाने के लिए उनके नामों की लिस्ट तैयार कर रहे हैं। ऐसे में सदन में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए।