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भारत को फिर से शिक्षा में वैश्विक महाशक्ति बनना चाहिए : वेंकैया

ByNI Desk,
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भारत को फिर से शिक्षा में वैश्विक महाशक्ति बनना चाहिए : वेंकैया
अगरतला। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) ने भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंनेफिर से भारत के शिक्षा में 'विश्वगुरु' बनने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि एनईपी प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली से प्रेरणा लेती है, जो समग्र और अच्छी तरह से विकसित व्यक्तित्वों पर ध्यान केंद्रित करती है और भारतीय शिक्षा को समग्र, बहु-विषयी और व्यावहारिक बनाने की कोशिश की गई है। नायडू ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), अगरतला के 13वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, प्राचीन शिक्षा प्रणाली ने हमेशा हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य के साथ रहने और सभी प्राणियों और गैर-प्राणियों का आदर करना सिखाया है। हमारी शिक्षा व्यावहारिक, उत्तम और जीवन के लिए पूरक रही है। उच्च शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों को भारत को ज्ञान और नवाचार का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाने का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक शोध करने, उद्योगों और अन्य समान संस्थानों के साथ तालमेल स्थापित करने और कैंपस को रचनात्मकता और अनुसंधान के रोमांचक केंद्रों में बदलने की सलाह दी। युवाओं को बड़े सपने देखने के लिए पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की सलाह को याद दिलाते हुए उन्होंने छात्रों को लक्ष्य निर्धारित करने और फिर उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने को कहा। उपराष्ट्रपति ने कहा, अगर आप अपने चुने हुए मार्ग से हटे बिना समर्पण, अनुशासन और ईमानदारी के साथ काम करते हैं तो आप सफल होंगे। उपराष्ट्रपति ने कॉर्पोरेट क्षेत्र से विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख अनुसंधान परियोजनाओं की पहचान करने और सीएसआर पहल के तहत उन्हें फंड देने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, ज्ञान से परिपूर्ण समाज बनाने के लिए अनुसंधान में सार्वजनिक और निजी निवेश को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी में युवा शामिल हैं और इसे देखते हुए उपराष्ट्रपति ने उनकी ऊर्जा का इस्तेमाल करने पर जोर दिया। उन्होंने युवाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए सही पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का आह्वान किया। नायडू ने सभी छात्रों से ग्रामीण भारत में आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए गांवों में कुछ समय बिताने के लिए भी कहा।
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