नई दिल्ली। बीजिंग में शुक्रवार से शुरू हो रहे विंटर ओलंपिक के आधिकारिक कार्यक्रमों में भारत के राजदूत और दूसरी राजनयिक नहीं शामिल होंगे। गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शामिल रहे चीनी सैनिक को टॉर्च बेयरर बनाए जाने से नाराज होकर भारत ने यह कदम उठाया है। भारत ने चीन के इस कदम की आलोचना की तो अमेरिका ने भी इसे शर्मनाक बता कर इसकी आलोचना की। India boycott Winter Olympics
बहरहाल, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा- यह अफसोस की बात है कि चीन ओलंपिक गेम्स के बहाने सियासत कर रहा है। बीजिंग में हमारे चार्ज डी’अफेयर्स इन गेम्स के शुभारंभ या समापन समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे। इससे पहले रिपोर्ट आई थी कि चीन ने खेलों के टॉर्च रिले में एक ऐसे कमांडर की फाबाओ को मशाल सौंपी है, जो 2020 में हुए गलवान घाटी संघर्ष में शामिल था।
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फाबाओ ने बुधवार को टॉर्च रिले में शिरकत की थी और उसके बाद गुरुवार को भारत ने इन खेलों के राजनयिक बहिष्कार का फैसला किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फाबाओ चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए में रेजिमेंट कमांडर है। 15 जून 2020 को लद्दाख की गलवान घाटी में संघर्ष के दौरान वो गंभीर तौर पर जख्मी हो गया था और उसे भारतीय सैनिकों ने पकड़ लिया था। बाद में उसे चीन को सौंप दिया गया था।
दिसंबर में उस सैनिक ने चीन के सरकारी टीवी चैनल, सीसीटीवी को एक प्रायोजित इंटरव्यू दिया था। इसमें उसने गलवान घाटी की घटना के बारे में बताया था। फाबाओ ने कहा था- मैं सरहद पर जाने के लिए फिर तैयार हूं। हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी को नहीं देंगे। चीन की सेना ने उसे वीरता पुरस्कार भी दिया। टीवी प्रोग्राम में फाबाओ के साथ चार और सैनिक भी शामिल हुए थे।
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