नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश में राजनीतिक प्रदर्शनों के बीच देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े प्रोफेसरों, कुलपतियों, शोधार्थियों, वैज्ञानिकों एवं विधिवेत्ताओं समेत अकादमिक जगत के एक हजार से अधिक बुद्धिजीवियों ने इस कानून का समर्थन किया है और इसे भारत की सदियों पुरानी ‘शरणागत वत्सल’ होने की पहचान के अनुरूप करार दिया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान के प्राध्यापक डॉ. स्वदेश सिंह और प्रो. अभिनव प्रकाश ने एक सर्वेक्षण में 1100 से अधिक बुद्धिजीवियों से बात की और उस बातचीत में ये निष्कर्ष सामने आया। डॉ. सिंह ने कहा, “देश के कुछ दर्जन प्रोफेसर इस देश के चिंतक विचारक वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में आये बुद्धिजीवी
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