नई दिल्ली। मणिपुर में हुई जातीय हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन कर दिया गया है। तीन सदस्यों के इस आयोग की अध्यक्षता गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अजय लांबा करेंगे। यह न्यायिक आयोग मणिपुर में हिंसा की वजह, उसके पूरे राज्य में फैलने और कई जगह हुए दंगों की जांच करेगा। आयोग को रिपोर्ट देने के लिए छह महीने का समय दिया गया है। गौरतलब है कि मणिपुर में तीन मई को कुकी और मैती समुदाय के बीच हिंसा भड़की थी, जिसमें 80 लोगों की मौत हुई है।
इस बीच मणिपुर में एक महीने तक चली छिटपुट हिंसा के बाद से राज्य में जरूरी चीजों की कमी हो रही है। तभी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को लोगों से इंफाल-दीमापुर राष्ट्रीय राजमार्ग-दो से अवरोध हटाने की अपील की। शाह ने रविवार दोपहर की शाम करीब पौने चार बजे ट्विटर पर लिखा- मणिपुर के लोगों से मेरी अपील है कि इंफाल-दीमापुर, राष्ट्रीय राजमार्ग-दो पर लगाए गए अवरोध को हटा लें, जिससे कि भोजन, दवाइयां, पेट्रोल, डीजल और अन्य जरूरी चीजें लोगों तक पहुंच सकें।
अमित शाह ने कहा- लोगों से अपील है कि नागरिक समाज संगठन आम सहमति बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। हम सब मिलकर ही इस खूबसूरत राज्य में सामान्य स्थिति बहाल कर सकते हैं। इससे पहले शनिवार को सेना और असम राइफल्स ने पुलिस और सीआरपीएफ के साथ मिलकर मणिपुर के पहाड़ी और घाटी क्षेत्र में कानून व्यवस्था बहाल करने का अभियान शुरू किया। इस दौरान सुरक्षा बलों ने 35 हथियार और 88 बम बरामद हुए। मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने यह जानकारी दी।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील के बाद दो जून को मणिपुर में उपद्रवियों ने 144 हथियार और 11 मैगजीन सरेंडर किए थे। कुलदीप सिंह ने शनिवार को बताया था कि शनिवार को राज्य में हिंसा नहीं हुई थी। वहीं, शुक्रवार रात मणिपुर के वेस्ट इंफाल जिले के दो गांवों पर कुकी समुदाय के लोगों ने हमला किया। जिसमें 15 लोग घायल हो गए।