नई दिल्ली। एक साल 13 दिन के बाद आखिरकार किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया। केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों को खत्म करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी सहित कई मागों को लेकर किसान संगठन पिछले साल 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे थे। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को ही बता दिया था कि उसे सरकार की ओर से दिया गया प्रस्ताव मंजूर है और आधिकारिक चिट्ठी मिलते ही आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया जाएगा। गुरुवार को सरकार की ओर से सभी मांगों को स्वीकार करने की चिट्ठी मिली और किसानो ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया।
आंदोलन खत्म करने की घोषणा के साथ ही किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं से वापसी की योजना बताते हुए कहा कि 11 दिसंबर के किसान वापस लौटना शुरू करेंगे। वैसे दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने अभी से टेंट समेटने शुरू कर दिए हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीनों विवादित कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था और 29 नवंबर को शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन दोनों सदनों से इसका बिल पास करा लिया गया था। उसके बाद किसान एमएसपी की गारंटी के कानून की मांग कर रहे थे, जिसके लिए कमेटी बनाने पर सरकार सहमत हो गई है।
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बहरहाल, सरकार द्वारा किसानों की सभी मांगें मान लिए जाने के बाद किसान संगठनों ने गुरुवार की शाम साढ़े पांच बजे के करीब फतह अरदास की और 11 दिसंबर को सिंघु व टिकरी बॉर्डर से फतह मार्च का ऐलान किया। इन दोनों बॉर्डर से पंजाब के किसान एक साथ लौटेंगे। आंदोलन खत्म करके दिल्ली से लौटने के बाद 15 दिसंबर को किसान नेता अमृतसर में स्वर्ण मंदिर जाकर मत्था टेकेंगे। इसके एक महीने बाद 15 जनवरी को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की फिर बैठक होगी, जिसमें किसानों का मांगों पर हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
इससे पहले सरकार ने किसानों की सारी मांगें मानने का लिखित पत्र दिया। सरकार ने कहा कि एमएसपी की गारंटी के कानून पर विचार के लिए समिति होगी, जिसमें केंद्र के अधिकारी व संयुक्त किसान मोर्चे के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह कमेटी तीन महीने में रिपोर्ट देगी। केंद्र ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और रेलवे की ओर से दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने का वादा किया है और साथ यह भी कहा है कि आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों को मुआवजा दिया जाएगा।
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बिजली बिल के मामले में सरकार ने कहा है कि वह संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा के बाद संसद में बिल लाएगी। सरकार ने साफ कर दिया है कि पराली जलाने पर किसानों पर कार्यवाही नहीं होगी। इन सारी मांगों को मानने के बाद दिल्ली की अलग अलग सीमाओं और देश के कई हिस्सों में 378 दिन से चल रहा किसान आंदोलन खत्म हो गया है। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने गुरुवार को कहा कि अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे हैं। हालांकि यह मोर्चे का अंत नहीं है। हमने इसे स्थगित किया है।