नई दिल्ली। एक साल तक चले किसान आंदोलन का अगुवाई करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा, एसकेएम ने सोमवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान महापंचायत की। बड़ी संख्या में किसान रामलीला मैदान में जुटे थे। सोमवार को दिन में एसकेएम के 15 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की और उनके भरोसा देने के बाद महापंचायत खत्म कर दी।
इससे पहले किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य और कर्ज माफी जैसी कई मांगों का एक पत्र कृषि मंत्री को सौंपा। एसकेएम ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो उन्हें फिर आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने 30 अप्रैल को दिल्ली में एक और बैठक बुलाई है। किसान नेता दर्शन पाल ने महापंचायत में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अभी कई मुद्दे हैं, जिनका समाधान निकाला जाना बाकी है।
दर्शन पाल ने कहा- हम 30 अप्रैल को दिल्ली में एक और बैठक बुलाएंगे। सभी किसान संगठनों से मेरी अपील है कि अपने राज्यों में रैलियां निकालें, पंचायतें करें। उन्होंने कहा- हम रोजाना विरोध नहीं करना चाहते हैं, लेकिन हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं। अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो हम एक और आंदोलन शुरू करेंगे। यह आंदोलन कृषि कानूनों के विरोध में हुए आंदोलन से भी बड़ा होगा।
असल में किसान आंदोलन समाप्त करते समय सरकार ने किसानों से जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया गया है। तीनों विवादित कानून तो वापस हो गए लेकिन बाकी बातें नहीं मानी गईं। किसानों का कहना है कि सरकार ने उत्पादन की कुल लागत के ऊपर 50 फीसदी का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने का लिखित आश्वासन दिया था। इसे लागू नहीं किया गया है। बहरहाल, किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि इस महापंचायत में 32 किसान संगठन शामिल हुए।