नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बनाए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 11 महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों से सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी तो जताई है लेकिन उनको प्रदर्शन की जगह से हटाने के बारे में कोई फैसला नहीं सुनाया है। सर्वोच्च अदालत में इसकी अगली सुनवाई दिसंबर में होगी। इस बीच आंदोलन कर रहे किसानों के संगठन ने गाजीपुर बॉर्डर पर एक सर्विस रोड पर रखा सामान हटाया और मीडिया को दिखाया कि उन्होंने नहीं, बल्कि पुलिस ने सड़क बंद कर रखी है। Kishan andolan supreme court
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों से फिर नाराजगी जताई। अदालत ने कहा है कि किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन वे इस तरह अनिश्चित समय के लिए सड़कें जाम नहीं कर सकते। दिल्ली की सीमाओं पर 11 महीने से बैठे किसानों को हटाने की अर्जी की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा कि कुछ समाधान तो तलाशना पड़ेगा। अदालत ने इस मामले में किसान संगठनों से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी। गुरुवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने संयुक्त किसान मोर्चा से सवाल किया कि क्या किसानों को सड़कें जाम करने का अधिकार है? इस पर मोर्चा ने कहा कि पुलिस सड़क प्रबंधन को बेहतर कर सकती है और अगर वे ऐसा नहीं कर सकते तो किसानों को रामलीला मैदान या फिर जंतर मंतर पर प्रदर्शन की इजाजत दी जानी चाहिए। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि फिर तो किसान रामलीला मैदान को ही घर बना लेंगे।Read also तालिबान ने पांच पाक फौजियों को मारा
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर कुछ असर भी दिखा। किसानों ने सड़क जाम होने और लोगों को हो रही परेशानी के लिए पुलिस पर ही आरोप लगाए। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का सामान हटवा कर बैरिकेड दिखाते हुए कहा कि ये पुलिस ने ही लगाए हैं। उन्होंने कहा- हम किसी का रास्ता नहीं रोक रहे।
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