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जानें, होली के दिन सफेद कपड़े का ही है क्यों है ट्रेंड

ByNI Desk,
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जानें, होली के दिन सफेद कपड़े का ही है क्यों है ट्रेंड
होली रंगो के साथ ही खुशियां बांटने का त्योहार है. होली पर लोग एक-दूसरे को सूखे और गीले रंग लगा कर खुशियां मनाते हैं. होली पर लोग अपने पहनावे पर विशेष ध्यान देते हैं. ये तो आप भी जानते हैं कि और फिल्मों में भी देखा होगा कि होली पर ज्यादातर सफेद रंग के कपड़े पहनने का प्रचलन होता है. लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि होली पर सब लोग सफेद कपड़े ही क्यों पहनते हैं.....होली पर सफेद कपड़े पहनने का ट्रेंड क्यों है.. आज हम आपको बताएंगे कि इसके पीछे क्या कारण है. इसे भी पढ़ें भाजपा, टीएमसी के लिए ‘हॉट केक’ बने बंगाल के सेलिब्रिटीज

शांति का प्रतीक है सफेद रंग

होली की तैयारियां लोग काफी पहले से शुरु कर देते हैं. लड़के हों या लड़कियां सबकी पहली पसंद सफेद कपड़े ही होते है. सामान्य तौर पर होली में महिलाएं सफेद रंग की कुर्तियां और पुरुष सफेद कुर्ते या टी-शर्ट में नज़र आते हैं. कई महिलाएं होली खेलने के लिए डिज़ाईनर कुर्तियां बनवाती हैं . इसके साथ ही कई महिलाएं सफेद रंग की कुर्ती के साथ सफेद या कलरफुल दुप्पटे के साथ को प्रेफर करती है. दरअसल, सफेद रंग शांति का प्रतीक माना जाता है. होली को लेकर मान्यता है कि इस दिन दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं. ऐसे में शांति के प्रतिक सफेद रंग को विशेष महत्व दिया जाता है. मानवता और भाईचारे को दर्शाने के लिए सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं. इसे भी पढ़ें कुपोषण की समस्या के निवारण के प्राधिकरण गठित किया जाए: सिंधिया

सफेद परिधान देते हैं ट्रेंडी लुक

होली के दिन लोग सफेद कपड़े इसलिए भी पहनते हैं क्योंकि सफेद कलर क्लासी और ट्रेंडी लुक देता है. सफेद रंग पर हर कलर उभर कर आता है. सफेद कपड़ा एक सफेद कैनवस जैसा लगता है जिस पर ढेर सारे रंगों से कलाकारी की गई हो. सफेद कपड़ों पर गुलाल अच्छे से उभर कर आता है. होली के दिन गुलाल से भरे कपड़ों में तस्वीरें भी अच्छी आती हैं. इसलिए युवाओं की होली के दिन की पहली पसंद सफेद कपड़े ही होते हैं. इसे भी पढ़ें बिहार विधानसभा अध्यक्ष पर ‘अपनों’ का ‘सितम’!

उमंग से भरा है होली का त्योहार

होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. दो दिनों के इस त्योहार को देश के लगभग सभी हिस्सों में काफी उल्लास के साथ मनाया जाता है. पहले दिन होलिका दहन और दूसरे दिन रंगो से होली खेली जाती है. इस दिन लोगों के घर में तरह- तरह के पकवान बनते हैं. खास कर बच्चों में इस त्योहार को लेकर काफी उत्तेजना रहती है. ऐसा कहा जाता है कि इस त्योहार में बड़े भी बच्चे हो जाते हैं. इसे भी पढ़ें दमोह में भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा अपनों से चुनौती का अंदेशा

ये है मान्यता

होलिका दहन के पीछे एक कहानी भी है. हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था. उसके बेटे का नाम प्रहलाद था. प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था. हिरण्यकश्यप भक्त प्रहलाद की भक्ति से नाखुश था. हिरण्यकश्यप का मानना था कि इस दुनिया में उससे ज्यादा कोई और दूसरा ताकतवर नहीं है. प्रहलाद की भक्ति से नाराज होकर एक दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रहलाद को मारने की मंशा से अपने गोदी में लेकर आग की शैय्या पर बैठ गई . लेकिन प्रहलाद भगवान विष्णु के नाम का ही जाप करते रहे. जिससे प्रहलाद सुरक्षित रह गये और होलिका का दहन हो गया.मान्यता है कि होली के दिन सभी बुराईयों का अंत होता है. इसे भी पढ़ें बैडमिंटन : आल इंग्लैंड ओपन में सिंधु की विजयी शुरूआत, सायना बाहर
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