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जम्मू-कश्मीर में लिथियम के भंडार मिले

Lithium in Jammu. हाल ही में पेश केंद्रीय बजट (Union Budget) में इलेक्ट्रानिक व्हीकल उद्योग के लिए अनुकूल घोषणाओं और पिछले वर्ष ईवी के तेज वृद्धि के बीच जम्मू- कश्मीर (Jammu-Kashmir) के रियासी जिले में लिथियम भंडार (Lithium Reserves) का मिलना एक महत्वपूर्ण घटना है। इसके लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की ओर से सराहनीय प्रयास किया गया है। भारत (India) की सेल उत्पादन क्षमता 2030 तक 70-100 गीगावॉट तक पहुंचने का अनुमान है। वर्तमान में, विदेश से लिथियम की खरीद में सबसे बड़ी चुनौती आयात और ढुलाई की लागत है। इससे इसकी कीमत बढ़ जाती है। गौरतलब है कि देश लिथियम की कमी के साथ-साथ, कोबाल्ट और निकल जैसे खनिजों के लिए भी संघर्ष कर रहा है, जो ईवी बैटरी निर्माण (EV Battery Manufacturing) के लिए महत्वपूर्ण हैं। देश जब शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में कार्य कर रहा है, तब ये चुनौतियां प्रतिकूल प्रभाव पैदा करती हैं। रियासी में खोजे गए 5.9 मिलियन टन (5.9 Million Tonnes) लिथियम भंडार को यदि निकाला जा सके, तो भारत 500 गीगावॉट की वैश्विक सेल उत्पादन क्षमता को पार कर जाएगा। 

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यह खोज राष्ट्र को अपनी ईवी गतिशीलता और ऊर्जा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनने की अपनी यात्रा में तेजी लाने में मदद करेगी। लिथियम भंडार की नवीनतम खोज (Latest Search) से देश में ली-आयन कोशिकाओं और बैटरी के घरेलू निर्माण में तेजी आने की उम्मीद जगी है। हालांकि, यह अभी भी एक अनुमानित भंडार है और निष्कर्षण क्षमता के लिए सत्यापन की आवश्यकता है। सरकार को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं पर विचार करते हुए क्षेत्र में लिथियम खनन सुनिश्चित करने के लिए ढांचा भी स्थापित करना चाहिए। लिथियम खनन के साथा पारिस्थितिक चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं। इस प्रक्रिया में पानी की व्यापक खपत शामिल है। 1 टन लिथियम अयस्क 2.2 मिलियन लीटर पानी का उपयोग करता है। यह वातावरण में बड़ी मात्रा में कॉर्बन डाई आक्साइड भी छोड़ता है। इसके परिणामस्वरूप लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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 कच्चे लिथियम को बैटरी-ग्रेड लिथियम में परिवर्तित करना भी एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा कोबाल्ट, निकल आदि की व्यवस्था करना भी आसान नहीं है। भारत उच्चतम लिथियम भंडार वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल हो गया है। दुनिया में अब तक 88 मिलियन टन लिथियम का पता चल चुका है। बोलीविया 21 मिलियन टन लिथियम के साथ पहले स्थान पर है, इसके बाद 20 मिलियन टन के साथ अर्जेंटीना, 12 मिलियन टन के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका, 11 मिलियन टन के साथ चिली, 7.9 के साथ ऑस्ट्रेलिया है। चीन 6.8 मिलियन टन और भारत 5.9 मिलियन टन के साथ सातवें स्थान पर है। लिथियम की खोज का अधिकतम लाभ हासिल करने के लिए आवश्यक है कि इसे बैटरी-ग्रेड लिथियम में परिवर्तित किया जाए। इसके लिए भौतिक विज्ञान में उन्नति समय की आवश्यकता है। हमें तकनीकी कौशल के लिए विदेशों पर निर्भरता कम करने और स्वदेशी व स्थायी आपूर्ति के लिए काम करना चाहिए। 

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एक स्वदेशी सेल (Indigenous Cell) और बैटरी निर्माण (Battery Manufacturing) लाइन होने से, भारत पड़ोसी देशों पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है और अपनी विदेशी मुद्रा क्षमता की रक्षा कर सकता है। इसके अलावा, यह हमारे व्यापार घाटे को कम करेगा। इन क्षेत्रों में धीरे-धीरे लेकिन स्थिर प्रगति के साथ, ईवी सस्ते हो जाएंगे। इससे इसका इस्तेमाल बढ़ जाएगा। साथ ही हमें बैटरी रीसाइक्लिंग की संभावनाओं का भी पता लगाना चाहिए और भारत को विश्व ईवी मानचित्र पर आगे ले जाने के लिए वैश्विक ईवी बैटरी आपूर्तिकर्ता बनने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली बैटरी विकसित करने में निवेश करना चाहिए। जम्मू-कश्मीर में लिथियम की खोज भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनने के दिशा में और करीब ले जाएगा। यह भारत को सिर्फ एक बड़े ईवी उपभोक्ता बाजार से बदलकर वैश्विक स्तर पर आपूर्तिकर्ता बना सकता है। मैं इस पर और विकास देखने के लिए बहुत उत्साहित हूं और मैं ईवी बैटरी स्पेस में भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने की यात्रा का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक हूं। (आईएएनएस)

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