नई दिल्ली | कोरोना की तीसरी लहर को लेकर वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी पर लगातार काम हो रहा है. इसी कड़ी में अब विशेषज्ञों ने बच्चों कोरोना टेस्ट करने के लिए एक नई तकनीक आजाद किया है. वैज्ञानिकों ने बच्चों के लिए तैयार किये गये टेस्ट का नाम भी बच्चों के हिसाब से लॉलीपॉप टेस्टिंग किट दिया है. डॉक्टरों की टीम ने इसे एक लॉलीपॉप की तरह ही डिज़ाइन किया है. जिस बच्चे का कोरोना टेस्ट किया जाना है उसे या लॉलीपॉप चूसने के लिए दे दिया जाता है. थोड़ी देर बच्चे के इसे चूसने के बाद इसमें लगे स्टीकर में बच्चे का स्वैब का नमूना आ जाता है और उसे बाद में जांच के लिए लैब भेज दिया जाता है.
लॉलीपॉप टेस्टिंग किट के स्वाद पर भी विशेष ध्यान
बता दें कि इस लॉलीपॉप टेस्टिंग किट से ऑस्ट्रिया में किंडर गार्डन के बच्चों पर इसका पहला टेस्ट भी किया जा चुका है. भारत के साथ दुनिया भर के देश अपने बच्चे को सुरक्षित करने के लिए प्रयासरत हैं. कई देशों की सरकारें अब बच्चों पर विशेष ध्यान दे रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकनीक से बच्चों को किसी तरीके की परेशानी नहीं होती और उनका आसानी से स्वैब लिया जा सकता है. विशेषज्ञों ने लॉलीपॉप के टेस्ट पर भी विशेष ध्यान दिया है जिससे कि बच्चों को यह लॉलीपॉप पसंद आए और जो दूसरे बच्चों को भी इसके बारे में जानकारी दें.
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15 मिनट में आ जाता है रिपोर्ट
ऑस्ट्रिया में भी वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि तीसरी लहर में बच्चों को कोरोना संक्रमित होने का खतरा है. इसे देखते हुए वहां की सरकार ने पहले 35000 लॉलीपॉप परीक्षणों का आदेश दिया था. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक से 15 मिनट के अंदर कोरोना टेस्ट के रिजल्ट प्राप्त हो जाते हैं. अब इसका इस्तेमाल जर्मनी में भी धीरे-धीरे किया जाने की उम्मीद है. विश्व भर में बच्चों में कोरोना के संक्रमण को लेकर डर का माहौल है. यही कारण है कि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इससे संबंधित नई तकनीकों की खोज करने में लगे हुए हैं.
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