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सुप्रीम कोर्ट का दखल देने से इनकार

नई दिल्ली। कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया है। सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की तमाम दलीलों के बावजूद सर्वोच्च अदालत ने उनसे कहा कि वे हाई कोर्ट जाएं। इस मुकाम पर सुप्रीम कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता है। गौरतलब है कि सीबीआई ने सिसोदिया को रविवार को गिरफ्तार किया और सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने उनको पांच दिन के रिमांड पर भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट के मना करने के बाद पार्टी ने कहा कि वह हाई कोर्ट में अपील करेगी।

इस गिरफ्तारी के विरोध में आम आदमी पार्टी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। चीफ जस्टिस ने कहा- आपको हाई कोर्ट जाना चाहिए था, सीधे सुप्रीम कोर्ट से जमानत क्यों मांग रहे हैं। इसके बाद अदालत ने उनको जमानत के लिए पहले दिल्ली हाई कोर्ट जाने की सलाह दी है।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- सीधे सुप्रीम कोर्ट से जमानत क्यों मांग रहे हैं। आप अनुच्छेद 32 के तहत यहां क्यों आए। यह अच्छी और स्वस्थ परंपरा नहीं है। इस पर सिंघवी ने सिर्फ तीन मिनट बोलने की मंजूरी मांगी। उन्होंने कहा- सिसोदिया को सिर्फ दो बार पूछताछ के लिए बुलाया गया। गिरफ्तारी से पहले अरणेश कुमार मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि उनके मुवक्किल पर सबूत से छेड़छाड़ का आरोप नहीं है और न भागने का अंदेशा था।

उनकी दलील के पर चीफ जस्टिस ने कहा कि यह बातें सही हो सकती हैं, लेकिन सीधे सुप्रीम कोर्ट इसे नहीं सुन सकता। उन्होंने सिंघवी से कहा कि आप जो भी कह रहे हैं, वह हाई कोर्ट को कहिए। सिंघवी ने जब कहा कि हाई कोर्ट के जज बिजी हैं तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह देखना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का काम है। सिंघवी ने जब गिरफ्तारी को गलत बताया तो सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह इस पर सुनवाई के लिए बैठी है, लेकिन पहले हाई कोर्ट में यह बात बताएं।

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