नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी टीम में कुछ नए चेहरे शामिल किए हैं। कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल होने वाले कम से कम से चार बड़े नेताओं को भाजपा की टीम में जगह मिली है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे कैप्टेन अमरिंदर सिंह को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सुनील जाखड़ को भी राष्ट्रीय कार्यसमति में जगह मिली है।
कांग्रेस के प्रवक्ता रहे जयवीर शेरगिल तो सीधे भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता बन गए हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता के तौर पर वे लगातार भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते रहे थे। कांग्रेस के नेताओं ने पुलवामा कांड को लेकर प्रधानमंत्री से सवाल करने वाला उनका वीडियो जारी करके कहा है कि भाजपा इस पर जवाब दे। पंजाब कांग्रेस के एक और बड़े नेता और कैप्टेन अमरिंदर सिंह की सरकार में मंत्री रहे राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी को राष्ट्रीय कार्यसमिति का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी टीम में कुछ और नेताओं को शामिल किया। पंजाब कांग्रेस के नेताओं के अलावा उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भी राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है। इनके अलावा उत्तराखंड के मदन कौशिक, छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय और पंजाब के मनोरंजन कालिया व अमनजीत कौर वालिया को राष्ट्रीय कार्यसमिति का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।
गौरतलब है कि पिछले साल मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी थी। उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस नाम से अपनी पार्टी बनाई थी और इस साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ मिल कर लड़ा था। लेकिन उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई। बाद में उन्होंने पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया। तब से इंतजार किया जा रहा था कि पार्टी उनको क्या पद देती है। उनके समर्थक राज्यपाल पद की उम्मीद कर रहे थे।
बहरहाल, पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुनील जाखड़ को कैप्टेन खेमे का माना जाता है और वे प्रदेश में नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के समय से ही नाराज चल रहे थे। बाद में उन्होंने भी कांग्रेस छोड़ दी थी। इन सभी नेताओं को भाजपा ने अपनी राष्ट्रीय टीम में जगह दी है। गौरतलब है कि पंजाब में भाजपा का तालमेल उसकी पुरानी सहयोगी अकाली दल से समाप्त हो गया है और फिलहाल भाजपा अकेले ही राजनीति कर रही है। उसे कांग्रेस नेताओं से कुछ मदद मिलने की उम्मीद है।