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सरकार ने मानी मांगें, आंदोलन खत्म करेंगे किसान

ByNI Desk,
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सरकार ने मानी मांगें, आंदोलन खत्म करेंगे किसान
नई दिल्ली। एक साल से ज्यादा समय से आंदोलन कर किसानों के घर लौटने का रास्ता साफ हो गया है। तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद केंद्र सरकार किसानों के बाकी सारी मांगे मानने पर भी राजी हो गई है। संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार की बैठक के बाद  केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर कुछ सवाल उठाते हुए जवाब मांगे थे। सरकार की ओर से मिले जवाब के बाद बुधवार को फिर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई, जिसमें सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। केंद्र सरकार ने एमएसपी का कानूनी गारंटी देने की  मांग मानते हुए कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी इस कमेटी में होंगे और तीन महीने में वे इस पर रिपोर्ट देंगे। Modi Government farmers movement केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच बातचीत के बाद तैयार प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। अब सरकार की तरफ से इसे मानने के लिए अधिकारिक चिट्‌ठी भेज दी जाएगी तो गुरुवार को दोपहर 12 बजे फिर मोर्चे की मीटिंग बुलाकर किसानों की घर वापसी का ऐलान हो जाएगा। बैठक के बाद बुधवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा- कल सरकार की तरफ से जो ड्राफ्ट आया था, उस पर हमारी सहमति नहीं बनी थी। हमने उसमें कुछ सुधारों की मांग कर लौटा दिया था। सरकार दो कदम और आगे बढ़ी है। चढ़ूनी ने बुधवार को कहा- आज जो ड्राफ्ट आया है, उसको लेकर हमारी सहमति बन गई है। अब सरकार उस ड्राफ्ट पर हमें अधिकारिक चिट्‌ठी भेजे। इसी पर सबकी सहमति है। जैसी चिट्‌ठी आएगी, उस पर कल मीटिंग कर फैसला लेंगे। इसके लिए 12 बजे मीटिंग बुला ली गई है, जिसमें अंतिम फैसला किया जाएगा। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने जो ड्राफ्ट भेजा था, उसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया है। Read also फोर्ब्स की सूची में निर्मला, नायर और नाडार सरकार की ओर से भेजे गए समझौता मसौदे के मुताबिक मरने वाले किसानों को पांच-पांच  लाख रुपए का मुआवजा राज्य सरकार देगी। वहीं, राज्य सरकार ही किसानों पर केस वापस लेगी। इसी दौरान हरियाणा सरकार ने किसानों को मुआवजे के तौर पर पांच लाख की मदद और केस वापस लेने की सहमति दे दी है। केंद्र सरकार ने भी सभी केस वापस लेने पर सहमति दे दी है। केंद्र ने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी कमेटी में सिर्फ संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं को रखने की बात भी मान ली है। सरकार ने माना है कि एमएसपी कमेटी में केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि होंगे। कमेटी तीन महीने के भीतर रिपोर्ट देगी, जिसमें यह सुनिश्चित करने के सुझाव दिए जाएंगे कि किसानों को एमएसपी किस तरह मिले। फिलहाल जो राज्य जिस फसल पर एमएसपी पर जितनी खरीद कर रही है, वह जारी रहेगी। यह भी तय किया गया है कि सभी केस तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाएंगे। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए सहमति दे दी है। केंद्र सरकार, रेलवे और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से दर्ज केस भी तत्काल वापस लिए जाएंगे। राज्यों को केंद्र सरकार भी अपील करेगी।
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