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Modi UN speech मोदी ने चीन, पाकिस्तान को घेरा

ByNI Desk,
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Modi UN speech मोदी ने चीन, पाकिस्तान को घेरा
न्यूयॉर्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को आज संबोधित करते हुए चीन और पाकिस्तान का नाम लिये बिना उन्हें उनके कृत्यों के लिए कठघरे में खड़ा किया और आतंकवाद एवं विस्तारवाद के खतरे को लेकर विश्व समुदाय का आह्वान किया कि मौजूदा हालात में वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था, वैश्विक कानूनों एवं वैश्विक मूल्यों के संरक्षण के लिए निरंतर कार्य करना होगा। modi un speech 2021 श्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए यह आह्वान किया। उन्होंने विश्व समुदाय का विश्व में हो रहीं घटनाओं को लेकर निर्भीकता से आगे आने का भी आह्वान किया। श्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र महासभा के नये अध्यक्ष मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद को बधाई दी और कहा कि उनका वैश्विक निकाय के सर्वोच्च सदन का अध्यक्ष बनना सभी विकासशील देशों विशेषकर छोटे द्वीपीय देशों के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि बीते डेढ़ साल से पूरा विश्व सदी की सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहा है। उन्होंने इस भयंकर महामारी में जान गंवाने वाले दुनिया के करोड़ों लोगों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। इस मौके पर श्री मोदी ने भारत के लोकतंत्र में रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले पिता की संतान के 20 साल से गुजरात के मुख्यमंत्री एवं भारत के प्रधानमंत्री के पद पर बतौर शासनाध्यक्ष काम करने के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि लोकतंत्र परिणाम दे सकता है और लोकतंत्र ने परिणाम दिया है। Narendra Modi US Visit श्री मोदी ने विश्व मंच पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दुनिया को उनके एकात्म मानव दर्शन एवं अंत्योदय के सिद्धांत से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि भारत इसी सिद्धांत पर चलते हुए एकीकृत एवं समानतापूर्ण विकास की ओर बढ़ रहा है जो सर्वसमावेशी, सर्वस्पर्शी, सर्वव्यापी एवं सर्वपोषक है। प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही भारत में जनधन खाते, प्रधानमंत्री आवास, नल जल योजना, आयुष्मान भारत योजना के साथ तकनीक के सहारे प्रगति के प्रयासों की जानकारी दी। Read also वाशिंगटन में मोदी की उपलब्धियाँ इसके बाद श्री मोदी ने कोविड महामारी के लिए चीन की भूमिका पर चिंता जताते हुए कहा कि इस महामारी ने सबक दिया है कि विश्व अर्थव्यवस्था को विकेन्द्रीकृत एवं विविधतापूर्ण बनाने तथा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को विस्तार देने की आवश्यकता है। हमारा आत्मनिर्भर भारत अभियान इसी भावना से प्रेरित है। वैश्विक औद्योगिक विकेन्द्रीकरण के लिए भारत, विश्व का एक लोकतांत्रिक और भरोसेमंद साझीदार बन रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने इकॉनोमी और ईकोलॉजी में संतुलन स्थापित किया है। 450 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य के साथ ही भारत को दुनिया का सबसे बड़ा हरित हाइड्रोजन हब बनाने की दिशा में अग्रसर है। मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा कि प्रतिगामी सोच के साथ, जो देश आतंकवाद का पॉलिटिकल टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें ये समझना होगा कि आतंकवाद, उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। ये सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए ना हो। हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि वहां की नाजुक स्थितियों का कोई देश, अपने स्वार्थ के लिए, एक टूल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश ना करे। हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की ओर से मिल रही चुनौती की पृष्ठभूमि में श्री मोदी ने कहा, हमारे समंदर भी हमारी साझी विरासत हैं। इसलिए हमें ये ध्यान रखना होगा कि समुद्री संसाधन का हम उपयोग करें, दुरुपयोग नहीं। हमारे समंदर, अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जीवनरेखा भी हैं। इन्हें हमें विस्तारवाद और एकाधिकारवाद की दौड़ से बचाकर रखना होगा।” प्रधानमंत्री ने नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की एक कविता की कुछ पंक्तियां पढ़ीं और उनका अर्थ बताते हुए कहा, अपने शुभकर्म के पथ पर निर्भीक हो कर बढ़ो, सभी दुबर्लताएं, सभी शंकाएं समाप्त हों।” उन्होंने कहा कि ये संदेश आज के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के लिए जितना प्रासंगिक है उतना ही हर जिम्मेदार देश के लिए भी प्रासंगिक है। ऐसा विश्वास है, हम सबका प्रयास, विश्व में शांति और सौहार्द बढ़ाएगा, विश्व को स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध बनाएगा।
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