अगरतला। त्रिपुरा विधानसभा की 60 सीटों के लिए छिटपुट हिंसा और मारपीट की खबरों के बीच मतदान संपन्न हो गया। शाम पांच बजे तक 81 फीसदी से ज्यादा मतदान होने की खबर है। मतदान का यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ था। सत्तारूढ़ भाजपा और उसके साथ साथ सीपीएम और कांग्रेस के नेताओं ने भी कई जगह मतदान रोके जाने, हिंसा करने और बोगस वोटिंग की शिकायत की है। चुनाव के नतीजे दो मार्च को आएंगे। उससे पहले 27 फरवरी को मेघालय और नगालैंड में वोट डाले जाएंगे।
बहरहाल, पिछले चुनाव में यानी 2018 में 90 फीसदी मतदान हुआ था, जिसके बाद 25 साल का सीपीएम का राज खत्म हुआ और भाजपा सत्ता में आई थी। शांतिपूर्ण मतदान के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों और राज्य पुलिस की तैनाती की गई थी। राज्य में कुल 3,337 पोलिंग बूथ बनाए गए थे। एक ही चरण में सभी 60 सीटों पर मतदान हुआ। राज्य के 28.13 लाख मतदाताओं ने 259 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला किया।
इस बीच भाजपा और कांग्रेस को ट्विटर पर वोटिंग अपील करना भारी पड़ गया। चुनाव आयोग ने दोनों पार्टियों को आचार संहिता उल्लंघन के मामले में नोटिस भेजा है। भाजपा महासचिव दिलीप सैकिया को भी इस मामले में नोटिस भेजा गया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने वोटिंग रोके जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा जिन लोगों को वोट नहीं डालने दिया गया, उन्होंने दूसरों को भी वोटिंग से रोका। उधर साउथ त्रिपुरा के एक बूथ के बाहर कुछ लोगों ने सीपीआई के एक समर्थक की पिटाई कर दी गई। पुलिस ने घायल को अस्पताल पहुंचाया। हरिपुर गांव में लोगों पर हमला करके एक बूथ पर मतदाताओं को वोट डालने से रोका गया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।