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most mysterious place: दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगह जहां जाने का मतलब है मौत को गले लगाना..

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most mysterious place: दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगह जहां जाने का मतलब है मौत को गले लगाना..
हम में से अधिकतर लोग घूमने-फिरने और एडवेंचर के शौक़ीन होते हैं और जब मन हुआ या मौका मिला नहीं, बस निकल पड़े ट्रिप के लिए! आज हम आपको बताने जा रहे हैं दुनिया की सबसे रहस्यमयी और खतरनाक जगहों के बारे में जंहा जाने का मतलब है अपनी मौत को गले लगाना और इन जगहों पर जाना सख्त मना है! वैसे तो दुनिया में ऐसी बहुत सारी जगहें हैं, जहां जाना खतरे से खाली नहीं हैं। कहा जाता है कि इन जगहों पर जाने के बाद इंसान के वापस आने की कोई गारंटी नहीं है। दुनिया में बहुत से लोग ऐसे होते है जिनको कुछ अलग एडवंचर्स करने का शौक होता है। लेकिन ऐसी जगह जाना सख्त मना है। आइये जानते है कुछ ऐसी जगहों के बारे में..

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1. बरमूडा ट्राइएंगल (Bermuda triangle)

बरमूडा ट्राएंगल अमेरिका के फ्लोरिडा, प्यूर्टोरिको और बरमूडा तीनों को जोड़ने वाला एक ट्रायंगल यानी त्रिकोण है, जहां पहुंचते ही बड़े से बड़ा समुद्री और हवाई जहाज गायब हो जाता है। यह दुनिया की सब से खतरनाक जगह मानी जाती है। वैज्ञानिक भी बरमूडा ट्राएंगल के इस रहस्य का पता नहीं लगा पाएं हैं कि आखिर यहां कौन सी शक्ति है जो जहाज को लील जाती है। यह विज्ञान के सारे नियम फेल हो जाते है। अमेरिका का बमवर्षक हो गया गायब : बीते सैकड़ों सालों में यहां हजारों लोगों की जान गई है। एक आंकड़े में यह तथ्य सामने आया है कि यहां हर साल औसतन 4 हवाई जहाज और 20 समुद्री जहाज़ रहस्यमय तरीके से गायब होते हैं। 1945 में अमेरिका के पांच टारपीडो बमवर्षक विमानों के दस्ते ने 14 लोगों के साथ फोर्ट लोडरडेल से इस त्रिकोणीय क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरी थी। यात्रा के लगभग 90 मिनट बाद रेडियो ऑपरेटरों को सिग्नल मिला कि कम्पास काम नहीं कर रहा है। उसके तुरंत बाद संपर्क टूट गया और उन विमानों में मौजूद लोग कभी वापस नहीं लौटे।
  1. नरक का दरवाजा(Hell's Door)

दुनिया बहुत से अजूबों से भरी पड़ी है। ऐसा ही एक अजूबा है डोर टू हेल यानी नरक का दरवाजा जो कि तुर्कमेनिस्तान के दरवेज गांव में स्थित है।दरवेज एक पर्सियन शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है फाटक या दरवाजा। इस गांव में एक 230 फीट चौड़ा क्रेटर गढ्ढा है जिसमे कि 1971 से अब तक लगातार प्राकृतिक रूप से आग जल रही है। यहां तुर्कमेनिस्तान की सिर्फ 14 फीसदी आबादी रहती है। दरवेज गांव डेजर्ट एरिया में स्थित है। 1971 में पूर्व सोवियत संघ के वैज्ञानिक इस डेजर्ट एरिया में आयल और गैस कि खोज करने के लिए आए थे।उन्होंने दरवेज गांव के पास स्थित इस जगह को ड्रिलिंग के लिए चुना गया। उन्होंने यहां सेटअप लगाकर ड्रिलिंग शुरू की जिससे यहां एक क्रेटर बन गया। इस दुर्घटना में कोई जन हानि तो नहीं हुई पर इस क्रेटर से बहुत ज्यादा मात्रा में मीथेन गैस निकलने लगी। मीथेन गैस को बाहर निकलने से रोकने के दो विकल्प थे या तो इस क्रेटर को बंद कर दिया जाए या फिर इस मीथेन गैस को जला दिया जाए। वैज्ञानिकों ने दूसरा तरीका अपनाया और क्रेटर में आग लगा दी तब से लेकर आज तक ये के्रटर जलता रहा है, डोर टू हेल तुर्कमेनिस्तान का प्रमुख टूरिस्ट आकर्षण बन चुका है।
  1. सोकोट्रा द्वीप(Socotra Island)

यह द्वीप देखने में बहुत ही अजीब और खूबसूरत है। इस द्वीप को देखकर ऐसा लगता है, जैसे की हम किसी दूसरी दुनिया में आ गये है । अफ्रीका से काफी दूर, यमन में बसा यह आईलैंड बहुत ही अनोखा है। ‘ लॉस्ट आइलैंड ‘ के नाम से मशहूर इस द्वीप में आज कल भारी मात्र में दर्शक आते है।   इस द्वीप पर पेड़ – पौधों की करीब 800 दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती है। और इसके अदभुत पेड़ का नज़ारा देखकर आपको बेहद ही आनंद मिलता है। इस द्वीप की यह अनोखी बनावट के कारण इसे यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज घोषित कर दिया है। इस आईलैंड में करीब 44 हजार लोग रहते हैं। यहां रहने वाले सभी लोग भूत – प्रेत में ही विश्वास करते है। यह द्वीप पूरी तरह से (most mysterious place)अनोखे और अजीब वृक्ष से भरा हुआ है।
  1. नाज़्का लाइन्स (Nazca Lines)

आपने आजतक इंसानों द्वारा बनाई गई ऐसी कई मूर्तियाँ और जमीन पर बनी आकृतियाँ तो देखी ही होगी जो अपनेआप में आकर्षक और खूबसूरत हो। लेकिन आज हम आपको जिन आकृतियों के बारे में बताने जा रहे हैं वे बहुत ही विशाल हैं और इंसानों द्वारा नहीं बनाई गई हैं। अब यह राज आज भी बना हुआ हैं कि ये आकृतियाँ बनाई किसने हैं जिसके चलते ये बेहद रहस्यमयी बनी हैं। हम बात कर रहे हैं नाजका लाइन्स रेगिस्तान की जो दक्षिणी पेरू में स्थित हैं। तो आइये जानते है इन अनोखी आकृतियों के बारे में।     पेरू में स्थित इस रेगिस्तान पर ऐसी कई सारी आकृतियां बनी हुई हैं, जिसे देखकर आप हैरान हो सकते हैं। इनमें से कुछ आकृतियां इंसानों, पौधों और जानवरों की मालूम पड़ती हैं। इसके अलावा रेगिस्तानी सतह पर सीधी रेखाएं भी दिखाई पड़ती हैं। ऐसा माना जाता है कि ये रेखाएं 200 ईसा पूर्व से यह मौजूद हैं। ये रेखाएं करीब 500 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई हैं। हेलिकॉप्टर की मदद से इन्हें और साफ-साफ देखा जा सकता है। इसके बारे में यह भी कहा जाता है कि यहां दूसरे ग्रहों से आईं यूएफओ उतरे थे, जिसके चलते सतह पर इतनी संरचनाएं बनी थीं।
  1. मीर माइन (Mir Mine)

आज के समय में किसी भी स्थान पर पहुँचने के लिए सबसे ज्यादा हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाता हैं ताकि लम्बी दूरी को कम समय में तय किया जा सकें। हेलीकॉप्टर की मदद से दूरियाँ मिटाते हुए कम समय में पहुँचा जा सकता हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि रूस में स्थित है हीरे की सबसे बड़ी खदान पर हेलीकॉप्टर के गुजरने की मनाही हैं क्योंकि वहाँ जाने वाले सभी हेलीकॉप्टर क्रैश हो जाते हैं। आज हम आपको इसके पीछे का ही कारण बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों क्रैश हो जाते हैं यहाँ आने वाले सभी हेलीकॉप्टर। विश्व की सबसे बड़ी हीरे की खदान पूर्वी साइबेरिया में है, जिसका नाम है–‘मिरनी माइन’। इस खदान के अत्यधिक विशाल होने के कारण हवा के अधिक दबाव से इसके ऊपर से गुजरने वाले हेलीकॉप्टर्स क्रैश हो जाते हैं। इस खदान को 13 जून, 1955 को सोवियत भू-वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा खोजा गया था। इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मानव निर्मित गड्ढा भी माना जाता है। इसे खोजने वाले दल में यूरी खबरदिन, एकातेरिना एलाबीना और विक्टर एवदीनको शामिल थे। इस खोज के लिए सोवियत भू-वैज्ञानिक यूवी खबरदीन को सन् 1957 में लेनिन पुरस्कार दिया गया। दरअसल इस खदान के विकास का कार्य 1957 में शुरू किया गया था। इस खदान की गहराई 1722 फीट और चौड़ाई 3900 फीट है। यहां साल के ज्यादातर महीनों में मौसम बेहद खराब हो जाता है। सर्दियों में यहां तापमान इतना गिर जाता है कि गाड़ियों में तेल भी जम जाता है और टायर फट जाते हैं। इसे खोदने के लिए कर्मचारियों ने जेट इंजन और डायनामाइट्स का इस्तेमाल किया था। रात के समय इसे ढक दिया जाता था, ताकि मशीनें खराब ना हों। इस खदान की खोज के बाद रूस हीरे का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया। पहले इस खदान से हर साल 10 मिलियन यानी एक करोड़ कैरेट हीरा निकाला जाता था। यह खदान इतनी विशाल है कि कई बार इसके ऊपर से गुजरने वाले हेलीकॉप्टर नीचे की ओर के हवा के दबाव से इसमें समा जाते हैं। इसके ऊपर से हेलीकॉप्टर्स के गुजरने पर पाबंदी लगा दी गई। साल 2011 में इस खदान को पूरी तरह बंद किया जा चुका है।
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