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मप्र : 'इंदिरा इज बैक' के सियासी मायने

ByNI Desk,
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मप्र : 'इंदिरा इज बैक' के सियासी मायने
भोपाल। कांग्रेस में राहुल गांधी को फिर पार्टी अध्यक्ष की कमान सौंपने की चल रही कवायद के बीच महासचिव प्रियंका गांधी के जन्म दिन पर 'इंदिरा इज बैक' का नारा बुलंद हुआ है। इस नारे के सियासी मायने खोजे जाने लगे हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस के भीतर ही गांधी परिवार को लेकर दो धाराएं चल पड़ी हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद पार्टी की कमान सोनिया गांधी संभाले हुए हैं। वहीं दूसरी ओर प्रियंका गांधी को महासचिव के साथ पूरे उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना दिया गया है और वह उत्तर प्रदेश में लगातार सक्रियता हैं। प्रियंका गांधी का आज 12 जनवरी को जन्मदिन मनाया जा रहा है। इस मौके पर मध्य प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों के समाचार पत्रों में कांग्रेसजनों की ओर से बड़े-बड़े इश्तिहार जारी किए गए हैं। इन इश्तिहारों में 'इंदिरा इज बैक' का नारा बुलंद किया गया है। साथ ही इंदिरा गांधी के साथ प्रियंका की तस्वीर लगाई गई है। इन तस्वीरों के जरिए इंदिरा गांधी का रूप प्रियंका में दिखाने की कोशिश नजर आती है। इंदिरा गांधी की श्वेत-श्याम तस्वीर तो प्रियंका की रंगीन तस्वीर है। साथ ही लिखा है, 'वही दूरदर्शिता, वही निष्ठा, वही इच्छाशक्ति, सभी धर्मो और समाज को एक साथ विकास की दिशा में लाने का जज्बा'।
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कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा इस बारे में कहती हैं, प्रियंका गांधी के जन्मदिन पर जारी विज्ञापन में राजनीति नहीं खोजी जानी चाहिए। प्रियंका जी की कार्यशैली और उनके तौर-तरीके में इंदिरा गांधी की छवि झलकती है। भावनात्मक तौर पर कार्यकर्ताओं को प्रिंयका में इंदिरा नजर आती हैं। उसी भाव को कार्यकर्ताओं ने अपनी ओर से व्यक्त किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और खाद्य आपूर्ति निगम के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हितेश वाजपेयी इस पर तंज सकते हैं और कहते हैं, कांग्रेस में सब कुछ एक परिवार है, उसी से सब तय होना है। जिसे भी राजनीति करनी है उसे सोनिया, राहुल और प्रियंका का संरक्षण हासिल करना जरूरी है। राहुल गांधी क्या हैं, यह सबके सामने आ गया है। एक वर्ग प्रियंका के करीब पहुंचना चाहता है। इसके लिए भक्ति दिखाने की होड़ है और उसी का हिस्सा है यह विज्ञापनबाजी। राजनीतिक विश्लेशक रवींद्र व्यास का कहना है, कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए यह विज्ञापन जारी किया है। कांग्रेस ने प्रियंका के जन्मदिन पर इंदिरा गांधी को भुनाने की कोशिश की है। मगर सवाल उठ रहा है कि नई पीढ़ी कितना जानती है इंदिरा गांधी को। कांग्रेस को अपने पुराने नेताओं द्वारा देश को दिए गए योगदान के प्रचार के दूसरे रास्ते भी तलाशना होंगे, यह विज्ञापनबाजी तो नेता अपने राजनीतिक लाभ और स्वार्थ के लिए करते हैं। इनका स्थायी असर नहीं होता। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कई बड़े नेता राहुल गांधी को फिर से पार्टी की कमान सौंपे जाने की वकालत करते आ रहे हैं।
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