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भारत में भी शरियत कानून चलाने के लिए आतुर हैं मुस्लिम धर्मगुरु, कहा- लड़के-लड़कियों को एक साथ नहीं पढ़ाना चाहिए...

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भारत में भी शरियत कानून चलाने के लिए आतुर हैं मुस्लिम धर्मगुरु, कहा- लड़के-लड़कियों को एक साथ नहीं पढ़ाना चाहिए...
नई दिल्ली | Sharia law In India : कोरोना काल में शिक्षा व्यवस्था और स्कूलों का जो हाल है वह किसी से भी छुपा हुआ नहीं है.मामलों में आई कमी और टीकाकरण में आई तेजी के बाद अब धीरे-धीरे कई राज्यों में स्कूल खुलने शुरू हो गए हैं. इसी बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद ने एक बयान देकर हंगामा मचा दिया है. मौलाना का कहना है कि देशभर के स्कूलों में लड़कियों लड़कियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि को-एजुकेशन सिस्टम भारत में कभी भी नहीं रहा लेकिन जबरदस्ती इसे फॉलो किया जा रहा है. उन्होंने इस बयान को सपोर्ट करने के लिए कहा कि जिस तरह से लड़कियों के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं उसे देख कर एक बार फिर से अलग-अलग स्कूलों की स्थापना की जानी चाहिए. मौलाना अरशद के इस बयान के बाद नेताओं और धर्मगुरुओं के मिले-जुले बयान सामने आए हैं. Sharia law In India :

कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने किया समर्थन

Sharia law In India : मौलाना अरशद मदनी के बयान का कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने समर्थन किया है. उनका कहना है कि मौलाना ने जो कहा है बिल्कुल सही है. इस संबंध में मुस्लिम धर्मगुरु मुफ्ती अरशद कासमी ने उनका समर्थन करते हुए कहा कि स्कूल तक तो फिर भी बात समझ आती है लेकिन कॉलेजों में लड़कियों लड़कियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की जानी चाहिए. कासमी का कहना है कि हाल के दिनों में देखा गया है कि स्कूल और कॉलेज आने वाली बच्चियों के साथ गलत काम होता है. इस तरह के अपराध और मानसिक प्रवृत्ति को रोक पाना मुश्किल होता है इसलिए हमें कुछ परिवर्तन सामाजिक तौर पर करना चाहिए. Co-education व्यवस्था को खत्म करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है. इसे भी पढ़ें - ये क्या बोल गये आप मंत्री जी ! BJP मंत्री ने कहा कि “मोबाइल ऐप से आगे पीछे कर सकेंगे बारिश” Sharia law In India :

केंद्रीय मंत्री ने कहा लड़कियों के विरोध वाली सोच

Sharia law In India : इस मामले पर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह सोच लड़कियों के विरोध करने वाली है. उन्होंने कहा कि देश संविधान से चलता है शरियत से नहीं. उन्होंने कहा कि कुछ मुस्लिम धर्मगुरु जानबूझकर अपराध का नाम लेकर शरियत कानून चलाना चाह रहे हैं. उन्होंने कहा की ये एक तरह का संविधान पर हमला है. उन्होंने कहा कि ये लोग नहीं चाहते कि लड़कियां पढ़े और इन्हें पिछली सरकारों से सुरक्षित मिला है इसलिए बेफिजूल की बातें करते हैं. इसे भी पढ़ें-टोक्यो पैरालंपिक में पैरा-शूटर Singhraj Adhana ने साधा मेडल पर निशाना, टूटे पुराने रिकॉर्ड, भारत की झोली में अबतक 8 मेडल [web_stories title="false" excerpt="false" author="false" date="false" archive_link="true" archive_link_label="" circle_size="150" sharp_corners="false" image_alignment="left" number_of_columns="1" number_of_stories="10" order="DESC" orderby="post_date" view="circles" /]
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